
बचपन में उठ गया पिता का साया, मां ने पशुपालन कर बेटे को पढ़ाया, बेटा 22 साल की उम्र में बन गया IPS, फिर आतंकियों का किया सफाया
अलवर. कठोर मेहनत और पक्की धुन हो तो इंसान जो भी चाहे तो उस मंजिल को पा सकते हैं। अलवर जिले के राठ क्षेत्र के बहरोड़ तहसील के गांव भीटेड़ा निवासी आईपीएस सुरेन्द्र यादव व उनके बड़े भाई शिक्षाविद् वीरेंद्र यादव ने कठिनाइयों के बीच पढ़ाई करते हुए मुकाम हासिल किया है।
बचपन में इन दोनों भाइयों के सिर से पिता का साया उठ गया था लेकिन इनकी मां ने हिम्मत नहीं हारी। बेटों को पिता की कमी नही खलने देती। ऐसे में परिवार चलाने के लिए मां ने पशुपालन किया और दूध बेचकर बेटों को पढ़ाया। 22 साल की उम्र में सुरेंद्र ने तो आईपीएस बनकर माता का ही नही बल्कि प्रदेश का नाम रोशन किया । सुरेन्द्र यादव ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में की और 10 वीं कक्षा में पढ़ते समय पिता का साया सिर उठ गया ।
मां शकुंतला देवी ने कठोर परिश्रम और मेहनत करते हुए दूध बेचकर अपने बेटों को आगे पढ़ाया और बारहवीं कक्षा अलवर से पास करके स्नातक और स्नातकोत्तर राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से पास की।
स‘ची लगन और मेहनत से परिश्रम कर 22 साल की उम्र में 1997 के बैच में ये आईपीएस ऑफिसर बने ओर असम में आतंकवाद के खिलाफ से लड़ाई लडऩे वाले ऑफिसरों में से एक थे। इन्होंने आतंकियों का सामना किया और पैर में गोली लगी लेकिन हार नहीं मानी । दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के चीफ रहते हुए कॉमनवेल्थ गेम, रिलायंस और जल बोर्ड जैसे बड़े घोटालों को उजागर किया और रिकॉर्ड तोड़ 55 से ज्यादा भ्रष्टाचारियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया । ये पांडिचेरी पुलिस विभाग में आई जी के पद पर कार्यरत हैं।
इनका कहना है युवा हौसले ओर जज्बे से मेहनत और लगन से पढ़ाई करे तो गांवो की स्कूलो से ही पढ़ कर बहुत आगे जा सकते है। इनके बड़े भाई पढ़ाई के दौरान शिक्षक बनने की ठानी ओर वे बीए बीएड कर शिक्षक लगे जो अब मुंडावर में प्रिंसीपल पद पर कार्यरत हैं।
Published on:
01 Mar 2019 11:01 am
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