
दूध सेहत बनाने के लिए पी रहे, कर सकता है गुर्दे खराब
दूध सेहत बनाने के लिए पी रहे, कर सकता है गुर्दे खराब
अलवर.
अलवर जिले में सिंथेटिक दूध का कारोबार थम नहीं रहा है। एक दशक से जिले में सिंथेटिक दूध के उत्पादन को रोकने के लिए काफी समय तक बड़ी कार्रवाई हुई लेकिन फिर भी इसकी बिक्री हो रही है। इस मिलावटी दूध के कारोबारी सरकारी उपक्रम सरस डेयरी तक में मिलावटी दूध ला रहे हैं।
अलवर जिले में भैंस के दूध पर बड़े कारोबारियों की नजर है जिसके कारण यहां कई बड़ी गैर सरकारी डेयरी चल रही हैं। अलवर के एमआईए और सोतानाला में गैर सरकारी बड़ी प्राइवेट डेयरी हैं। अलवर से कई टैंकर दूध दिल्ली और गुरुग्राम जाता है। त्यौहारी सीजन में चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग कुछ मिठाई विक्रेता और दुधियों के सैम्पल लेते हैं जो कार्रवाई इस मिलावट के खेल में शून्य के बराबर है। अलवर जिले से प्रतिदिन दूध से बनने वाले पनीर और कलाकंद भी मिलावटी महानगरों में भेजा जाता है। इनको बनाने के कई जगह बड़े कारखाने तक हैं जिन पर कार्रवाई होती है लेकिन उनका काम बंद नहीं होता है।
यहां होता हैं सिंथेटिक दूध का कारोबार-
जिले के ग्रामीण क्षेत्र रामगढ़, नौगांवा, बड़ौदामेव, गोविंदगढ़, लक्ष्मणगढ़, बहादुरपुर, किशनगढ़बास, खैरथल और कुशालगढ़ आदि इलाकों में सिंथेटिक दूध का भारी कारोबार होता है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम हाईकोर्ट के आदेश पर कई साल पहले सिंथेटिक , मावा और पनीर नष्ट भी कराए, लेकिन कारोबार की जड़ नष्ट होने की बजाए और अधिक पनप गया है।
यूं तैयार करते हैं सिंथेटिक दूध -
अलवर जिले में बहुत से लोगों ने इसे बड़ा कारोबार बना लिया है जो दूध पाउडर, डिटर्जेंट और रिफाइंड ऑयल आदि से सिंथेटिक दूध तैयार कर रहे हैं। लोगों के घरों व अन्य बड़े प्लांटों तक सप्लाई होता है। जिले में कई जगह सिंथेटिक दूध से मावा और पनीर तैयार करने की फैक्ट्रियां तक लगी हुई हैं। यूरिया, कॉस्टिक सोड़ा, तेल, शक्कर आदि को पानी में घोलने से दूध जैसा तरल पदार्थ तैयार हो जाता है। फिर यह नकली दूध जल्दी नहीं बिगड़े इसलिए इसमें कई रसायन मिलाए जाते हैं, इसे गाय-भैंस के दूध में भी मिलाकर बेचा जाता है।
लीवर-गुर्दे हो सकते हैं खराब-
राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के फिजिशयन डॉ. योगेश चौधरी के अनुसार सिंथेटिक दूध, मावा व पनीर आदि के सेवन से पेट खराब, उल्टी-दस्त तथा लीवर व गुर्दे से सम्बन्धित बीमारियां हो सकती हैं। मिलावट का दूध शरीर में कई परेशानियां खड़ी कर सकता है जिसमें कई बीमारियां हैं। इस दूध से पैरों में दर्द होना, बाल असमय सफेद होना या गायब होना तथा उम्र से पहले ही बुढ़ापा आने के लक्षण आना मुख्य है।
इधर चिकित्सकों का कहना है कि मिलावटी दूध के लगातार सेवन से शारीरिक विकास में बाधा, आंखों की रोशनी जाना, पेट में अल्सर, कैंसर जैसी कई व्याधियां हो सकती हैं।
आपके घर तक तो नहीं आ रहा सिंथेटिक दूध-
अलवर जिले में सिंथेटिक और मिलावटी दूध का चलन कम नहीं हुआ है। इससे बचने के लिए आप अपने स्तर पर दूध की जांच कर सकते हैं।
-दूध में अंगुलियों को डुबोकर फिर आपस में रगड़कर देखना (साबुन जैसी चिकनाहट तो नहीं है), दूध को सूंघकर देखना (आम दूध की गंध से फर्क तो नहीं है) आदि जैसे काम किए जा सकते हैं। असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है, जबकि नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है।
-असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता,जबकि नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है। अगर हम असली दूध को उबालें तो इसका रंग नहीं बदलता, वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है।
Published on:
09 Sept 2022 03:17 pm
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