scriptमत्स्य विश्वविद्यालय के आसपास का क्षेत्र बनने जा रहा है नए एजुकेशन हब | The area around Matsya University is going to become a new education | Patrika News

मत्स्य विश्वविद्यालय के आसपास का क्षेत्र बनने जा रहा है नए एजुकेशन हब

locationअलवरPublished: May 29, 2023 11:49:02 am

Submitted by:

jitendra kumar

अलवर. मत्स्य विश्वविद्यालय भले ही शहर से 15 किमी दूर हो लेकिन यह एरिया जल्द ही नया एजुकेशन हब के रूप में विकसित होने जा रहा है। हल्दीना गांव के आसपास कई ऐसे बड़े प्लाट आदि खरीदे गए हैं जो यहां कोचिंग सेंटर खोलने से लेकर पेईंग गेस्ट खोलने में प्रयोग किए जाएंगे। सैनिक स्कूल के लिए यहां चिन्हित जगह इस हब को और बढ़ावा देगी। इससे अन्य शिक्षण संस्थान भी यहां आ सकते हैं।

मत्स्य विश्वविद्यालय के आसपास का क्षेत्र बनने जा रहा है नए एजुकेशन हब

मत्स्य विश्वविद्यालय के आसपास का क्षेत्र बनने जा रहा है नए एजुकेशन हब

अलवर. मत्स्य विश्वविद्यालय भले ही शहर से 15 किमी दूर हो लेकिन यह एरिया जल्द ही नया एजुकेशन हब के रूप में विकसित होने जा रहा है। हल्दीना गांव के आसपास कई ऐसे बड़े प्लाट आदि खरीदे गए हैं जो यहां कोचिंग सेंटर खोलने से लेकर पेईंग गेस्ट खोलने में प्रयोग किए जाएंगे। सैनिक स्कूल के लिए यहां चिन्हित जगह इस हब को और बढ़ावा देगी। इससे अन्य शिक्षण संस्थान भी यहां आ सकते हैं।
अब तक एजुकेशन हब चिकानी एरिया था : विश्वविद्यालय का इलाका नए हब के रूप में विकसित होने जा रहा है। विश्वविद्यालय का भवन करीब 200 बीघा में है। यह हल्दीना गांव में बन रहा है। गांव की आबादी करीब दो हजार है। इस गांव के आसपास करीब तीन हजार बीघा जमीन ऐसी है जो सड़क के पास है। कुछ जमीनों की बिक्री हो गई है। कुछ ने चारदीवारी करवा ली है। कुछ ग्रामीणों का कहना था कि विश्वविद्यालय बनने से उनकी जमीनों के भाव तो बढ़े ही। साथ ही गांव का नाम भी पूरे प्रदेश में हो गया। हम खुद ही अपनी जमीनों पर शिक्षा से जुड़े प्रोजेक्ट लांच करने की तैयारी कर रहे हैं। हमारे बच्चे भी चाहते हैं कि वह यहीं पर अपनी सेवाएं दें। दुकानें खोलें या फिर कोचिंग सेंटर आदि चलाएं।
होटल बनाने की योजना: हल्दीना गांव के आसपास कुछ बिल्डरों ने अपने बोर्ड लगाए हैं। साथ ही कुछ जमीनें खुद भी खरीदी हैं। एक बिल्डर का कहना है कि एक-दो साल बाद इस जमीन पर वह होटल आदि बनाएंगे। कारण ये है कि यहां विश्वविद्यालय में प्रोफेसर आदि बाहर से आएंगे। रुकने के लिए बेहतर जगह चाहिए।
कृषि का गढ़ : ऐसे में कृषि कॉलेज भी हो सकता है संचालित

कुछ छात्रों से यहां बात की गई। विकास कुमार, रोहित चौधरी आदि का कहना है कि उनका परिवार खेती-बाड़ी से जुड़ा है। ऐसे में उन्होंने कृषि से ही पढ़ाई शुरू की है। इसके लिए उन्हें बाहर जाना पड़ रहा है। विश्वविद्यालय की स्थापना से उम्मीद है कि इस क्षेत्र में अब कृषि कॉलेज आदि भी आएंगे। आसपास के युवाओं को खेती की पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जाना होगा।
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