
मशीनों के युग में अलवर जिले में आज भी हाथों से टोल प्लाजा चल रहे हैं। उन पर हाथ से पर्ची काटी जा रही है व वाहनों को पास करने के लिए एक व्यक्ति हाथ से बेरियर का संचालन करता है। टोल प्लाजा पर लोगों के लिए कोई सुविधा नहीं है। वाहन चालकों के साथ टोल कर्मचारियों के अभद्र व्यवहार की शिकायतें भी आम हैं।
अलवर-बहरोड़ व अलवर-भरतपुर मार्ग पर टोल प्लाजा के हालात खराब हैं। वैसे तो दिन भर टोल से हजारों वाहन गुजरते हैं, लेकिन टोल पर सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। टोल पर शौचालय और प्राथमिक उपचार की सुविधाएं भी नहीं हैं। कोई दुर्घटना होने पर एम्बुलेंस सहित अन्य जरूरी इंतजाम भी नहीं हैं।
कुछ टोल पर तो सीसीटीवी कैमरे भी खराब हैं। इसके अलावा कर्मचारियों के पास यूनिफार्म नहीं रहती है। उनके पास आई कार्ड नहीं रहते व उनका पुलिस सत्यापन नहीं कराया जाता है। बहरोड़ व भरतपुर मार्ग पर पेट्रोलिंग की भी कारगर व्यवस्था नहीं है। एेसे में रात के समय अगर किसी तरह का हादसा हो जाए तो मदद मिलना मुश्किल है।
क्या है नियम
प्रत्येक टोल प्लाजा पर लोगों के बैठने के लिए स्थान, शौचालय की व्यवस्था, 24 घंटे सीसीटीवी रिकॉर्डिंग, प्रशिक्षित कर्मचारी, प्रत्येक कर्मचारी की यूनिफार्म व आई कार्ड होना जरूरी है। टोल पर एम्बुलेंस, हादसे के बाद वाहनों को हटाने के लिए क्रेन, प्राथमिक उपचार की व्यवस्था व ड़यूटी पर रहने वाले कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन होना जरूरी है।
Published on:
25 Sept 2016 01:41 pm
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