अलवर नगर निगम की घर-घर कचरा संग्रहण योजना पूरी तरह फेल हो गई है। कहने को तो नगर निगम के पास 78 ऑटो टिपर हैं, लेकिन हकीकत में इनमें से 40 फीसदी भी वार्डों में नहीं पहुंच रहे। कुछ इतने अधिक खराब भी हैं कि मरमत भी नहीं कराई जा सकती।
अलवर नगर निगम की घर-घर कचरा संग्रहण योजना पूरी तरह फेल हो गई है। कहने को तो नगर निगम के पास 78 ऑटो टिपर हैं, लेकिन हकीकत में इनमें से 40 फीसदी भी वार्डों में नहीं पहुंच रहे। कुछ इतने अधिक खराब भी हैं कि मरमत भी नहीं कराई जा सकती। करीब एक माह पहले 4 करोड़ में नए 50 ऑटो टिपर खरीदे गए थे, जो आज तक वार्डों में नहीं भेजे गए। जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि निगम उनकी ‘आरती’ पुराना सूचना केंद्र में खड़ा करके उतार रहा है। घरों में सड़ते कचरे की फिक्र निगम को नहीं है।
नगर निगम ने घर-घर कचरा व्यवस्था के लिए 78 ऑटो टिपर का संचालन किया था। करीब एक दशक पहले यहां एक मॉडल के रूप में ऑटो टिपर ने काम किया, लेकिन अब इनमें आधे ही मोहल्लों में जा रहे हैं। स्कीम नंबर एक, दो के अलावा चोर डूंगरी, काला कुआं, पुराना शहर, रूपबास, नयाबास, इंद्रा कॉलोनी आदि एरिया में ऑटो टिपर नहीं पहुंच रहे हैं। लोगों का कहना है कि सप्ताह में एक-दो दिन आते भी हैं तो केवल आवाज लगाने के लिए। एक तरह से यह प्रभातफेरी निकालते हैं, कचरा लेने नहीं आते। नए ऑटो टिपर तो एक दिन भी दिखाई नहीं दिए।
नगर निगम ने 50 नए ऑटो टिपर इसी बेस पर खरीदे थे कि पुराने ऑटो टिपर कुछ खराब हैं और हर वार्ड में दो ऑटो टिपर भेजे जा सकें, लेकिन अब तक एक भी ऑटो टिपर नया वार्डों में नहीं भेजा गया। कुछ लोग यह कह रहे हैं कि मंत्रियों से फीता कटवाना है। ऐसे में फीता कटेगा, उसके बाद ही यह रवाना होंगे। वहीं, घरों में लोग कचरा न उठने से परेशान हैं। घरों में जब कचरा सड़ता है तो लोग खुले में भी फेंक रहे हैं, जिससे सड़कें गंदी हो रही हैं।
नगर निगम का पूरा जोर संसाधन खरीद पर है। इसमें खेल होता है। नए ऑटो टिपर एक माह से बाहर नहीं आए हैं। स्कीम नंबर एक में कोई ऑटो टिपर नहीं आता। कभी आते भी हैं तो प्रभातफेरी की तरह। घरों में सड़ते कचरे से जनता परेशान हैं और नगर निगम ध्यान नहीं दे रहा है। हैरत तो यह है कि निगम का 300 करोड़ का कुल बजट नहीं पहुंचा और 272 करोड़ रुपए सफाई पर खर्च कर रहे हैं। - अजय अग्रवाल, पूर्व सभापति
स्कीम नंबर दो में कभी ऑटो टिपर आते हैं तो कभी नहीं, जबकि प्रतिदिन कचरा संग्रहण होना चाहिए। मेरे कार्यकाल में 50 ऑटो टिपर आए थे। नई व्यवस्था शुरू करके हमने प्रदेश को एक संदेश दिया था, लेकिन आज व्यवस्था खराब हो गई। नए ऑटो टिपर वार्डों में नहीं भेजे जा रहे हैं। जनता परेशान है। केवल बजट खर्च करने से ही सफाई नहीं होगी। - अशोक खन्ना, पूर्व सभापति
नए ऑटो टिपर के लिए कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी हैं, इसलिए अभी वार्डों में नहीं भेजे जा सके। जल्द ही भेजे जाएंगे। - जितेंद्र नरूका, आयुक्त, नगर निगम