
पिता को मुखाग्नि देती बेटी (फोटो: पत्रिका)
Married Daughter Lit Funeral Pyre Of Father: समाज में बदलती सोच और बेटियों की बढ़ती भूमिका का एक प्रेरणादायक उदाहरण अलवर शहर में देखने को मिला। विवेकानंद नगर निवासी सुनीता ने अपने पिता के निधन के बाद न केवल उन्हें मुखाग्नि दी, बल्कि उनके नेत्रदान कर समाज को एक सकारात्मक संदेश भी दिया। इस दौरान श्मशान घाट पर मौजूद हर व्यक्ति भावुक हो गया।
पिता लक्ष्मीसिंह शर्मा का अंतिम संस्कार भूरासिद्ध श्मशान घाट में किया गया। परंपरागत रूप से यह जिम्मेदारी बेटे द्वारा निभाई जाती रही है, लेकिन इस बार शादीशुदा बेटी सुनीता ने आगे बढ़कर अपने पिता को मुखाग्नि दी। पिता को मुखाग्नि देते समय उनके भतीजे अंकुर शर्मा ने भी सुनीता का सहयोग किया। इस दृश्य को देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं।
अंतिम संस्कार से पहले सुनीता और उनके परिवार ने पिता के नेत्रदान का निर्णय लिया। इस निर्णय से दो जरूरतमंद लोगों को नई दृष्टि मिलने की उम्मीद है। परिवार ने बताया कि लक्ष्मीसिंह शर्मा जीवन भर सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहे और जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते थे।
सुनीता के पति डॉ. शैलेंद्र शर्मा ने बताया कि लक्ष्मीसिंह शर्मा अलवर स्थित अपने निवास पर ही रह रहे थे और बीमारी के चलते उनका निधन हुआ। अंतिम संस्कार के दौरान परिवार, रिश्तेदारों और परिचितों की बड़ी संख्या मौजूद रही। लोगों ने बेटी द्वारा मुखाग्नि देने और नेत्रदान जैसे निर्णय की सराहना की।
Updated on:
17 Dec 2025 10:55 am
Published on:
17 Dec 2025 10:53 am
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