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Video : 8 राज्य 28000 किलोमीटर का सफर : श्रीधर ने 4000 लोगों को दिलाया संकल्प

मन में कुछ करने का जज्बा हो तो हर राह आसान होती चली जाती है। बेटियों का महत्व जन-जन को बताने के लिए साईकिल पर अविरल यात्रा पर निकले महाराष्ट्र के नागपुर निवासी श्रीधर आडे के संकल्प को देखकर हर कोई उनकी तरफ खुद-ब-खुद खिंचा चला आता है। श्रीधर आडे देशवासियों को बेटी बचाओ, बेटी […]

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aniket soni

Jul 04, 2017

मन में कुछ करने का जज्बा हो तो हर राह आसान होती चली जाती है। बेटियों का महत्व जन-जन को बताने के लिए साईकिल पर अविरल यात्रा पर निकले महाराष्ट्र के नागपुर निवासी श्रीधर आडे के संकल्प को देखकर हर कोई उनकी तरफ खुद-ब-खुद खिंचा चला आता है।

श्रीधर आडे देशवासियों को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, दहेज हटाओ का संदेश साईकिल पर चलते हुए दे रहे हैं। वे लोगों को रुक-रुककर समझाते हैं। अभी तक सरकारी व निजी कार्यक्रमों में करीब 4000 से ज्यादा लोगों को संकल्प दिलवा चुके हैं श्रीधर अलवर पहुंचे तो उन्होंने इस अविरल यात्रा से जुड़े विभिन्न बातों को पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में साझा किया।

8 राज्यों का सफर 2800 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके श्री धर ने बताया कि 4 जून 2017 को नागपुर महिला आयोग के संरक्षण में इस यात्रा की शुरूआत की। उन्होंने बताया कि वे उन्हीं जगहों पर साइकिल यात्रा कर रहे हैं जहां पर बेटियों की संख्या कम है। इसके लिए उन्होंने एक रूट चार्ट बनाया हुआ है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में बेटियों की स्थिति अन्य राज्यों से बहुत बेहतर है।

अलवर में भी हुआ कार्यक्रम

जिला कलक्टर राजन विशाल की पहल पर सोमवार को श्रीधर ने बडौदा मेव में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की साइकिल यात्रा रवाना हुई। इस अवसर पर गोमती देवी जन सेवा निधि के निदेशक वेदप्रकाश शर्मा, महिला अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक रिषिराज सिंगल ,सरपंच अन्य लोग उपस्थित थे। इसके बाद देसूला में अटल सेवा केंद्र पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।

दहेज है बड़ी समस्या

श्रीधर का कहना है कि दहेज आज भी बड़ी समस्या है। इसलिए बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ के साथ दहेज हटाओ का भी नारा दिया जाना चाहिए। बेटियों की शादी पर बहुत पैसा खर्च होता है। एक शादी होते ही घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है।

एेसे में मां बाप ना तो बेटियों को आगे पढ़ा पाते हैं और ना ही बेटों को। उन्होंने बताया कि मेरी चार बहनें थी, उनकी शादी की वजह से मेरी शिक्षा अध्ूारी रह गई। अकेले पिता की कमाई से घर चलाना मुश्किल था तो मुझे मदद करनी पड़ी और मेरी पढ़ाई छूट गई।

400 रुपए से की सफर की शुरुह्यआत


एथलेटिक्स प्लेयर आडे पर साइकिल यात्रा का जुनून इस कदर चढ़ा की 28 हजार रूपए उधार कर साइकिल ले ली। यात्रा के दौरान घर से मात्र 400 रुपए लेकर निकले। साइकिल में एक छोटी गुल्लक लगी हुई है। जिसमें दानदाता कुछ राशि डाल देते हैं। उसी से वह खाने पीने का खर्चा निकाल रहे हैं।

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