
प्रतीकात्मक तस्वीर, मेटा एआइ
जयपुर। जिले के जमवारामगढ़ क्षेत्र में जमीन फर्जीवाड़े का एक गंभीर और पेचीदा मामला सामने आया है, जिसने पंजीयन विभाग और राजस्व व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि 26 दिसंबर 1991 को मृत्यु हो चुके किसान के नाम से 34 साल बाद कृषि भूमि की रजिस्ट्री कर दी गई। नामांतरण खुलवाने के प्रयास के दौरान फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है।
मामला चावंडिया गांव निवासी मृत किसान रामदेव पुत्र भैरूराम रैगर से जुड़ा है, जिनके नाम 0.4033 हैक्टेयर कृषि भूमि राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज थी। जानकारी के अनुसार रामदेव के एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं, लेकिन वर्षों से जमीन का नामांतरण वारिसों के नाम नहीं खुला था। इसी तकनीकी खामी का लाभ उठाते हुए अज्ञात भूमाफिया ने कथित तौर पर मृतक के नाम फर्जी किसान खड़ा कर, फर्जी कागजात और फोटो तैयार कर 25 अगस्त 2025 को जमवारामगढ़ उपपंजीयक कार्यालय में अनिल बैरवा निवासी करतारपुरा, जयपुर के नाम रजिस्ट्री करवा दी।
रजिस्ट्री के बाद जब चावंडिया ग्राम पंचायत में नामांतरण का प्रयास किया गया तो प्रशासक द्वारा पूछताछ करने पर मृतक की वारिस ममता सहित परिजनों ने जमीन बेचने से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद पंजीयन कार्यालय से रजिस्ट्री की नकल निकलवाई गई, जिससे कथित फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। वारिस ममता ने आंधी तहसीलदार प्रांजल कंवर को ज्ञापन सौंपकर नामांतरण पर रोक, जमीन को सुरक्षित रखने और दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। मामले को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है और प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है।
Updated on:
24 Dec 2025 07:10 am
Published on:
24 Dec 2025 07:09 am
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