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जिले में पता नहीं चलता मौसम का मिजाज

पांच साल से खराब है ऑटोमैटिक वेदर मशीन

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जिले में पता नहीं चलता मौसम का मिजाज

अलवर. नौगांवा कृषि अनुसंधान केंद्र पर स्थापित मौसम वैधशाला।

अलवर. जिले के नौगांवा कस्बे के कृषि अनुसंधान केन्द्र पर स्थापित मौसम वैधशाला लगभग 5 सालों से नाकारा साबित हो रही है । गौरतलब है कि कस्बे के कृषि अनुसंधान केन्द्र पर लाखों रूपये की मौसम वैधशाला स्थापित है पर रखरखाव बजट उपलब्ध नहीं होने के कारण ये मौसम वैधशाला दम तोडती नजर आ रही है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण और किसानों के लिए उपयोगी है मौसम वैधशाला
कृषि अनुसंधान केन्द्र पर स्थापित अत्याधुनिक मौसम वैधशाला वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तो फायदा तो है ही साथ ही इसकी मौसम की जानकारी से किसानों के लिए भी उपयोगी है । इस मौसम वैधशाला द्वारा मौसम के न्यूनतम व अधिकतम तापमान के अलावा हर आधा घण्टे में तापमान में उतार चढाव का रिकॉर्ड लिया जाता था। हवा की दिशा एवं गति, सूर्य की तीव्रता एवं बरसात की मात्रा के अलावा मौसम में आद्र्वता की मात्रा, ओस की मात्रा, जमीन के तापमान की अन्य जानकारी ज्ञात होती थी। इसी मौसम के आधार पर केन्द्र के वैज्ञानिक किसानों को फसल बुवाई समय सहित वर्षा का पूर्वानुमान, फसल में लगने वाले रोगों एवं कीटों की जानकारी, फसलों में सिचांई की मात्रा एवं ङ्क्षसचाई के समय की जानकारी उपलब्ध कराते थे और फसलों सम्बन्धी अन्य सुझाव देते थे । लेकिन कई साल से खराब पडी मशीन के कारण मौसम वैधशाला मौसम का हाल नहीं बता पा रही है, जिससे न तो वैज्ञानिक ही इसका लाभ ले पा रहे है और न ही किसानों के लिए उपयोगी साबित हो रही है। ज्ञात रहे कि प्रतिवर्ष नौगांवा के मौसम का मिजाज जिले से विषम होता है
मेन्टेनेन्स का बजट नहीं
यूं तो वैज्ञानिकों के प्रयाोगों के लिए मौसम के हाल जानने के लिए करीब 4 लाख की लागत से मिटोस कम्पनी की अत्याधुनिक मौसम वैधशाला कृषि अनुसंधान केन्द्र पर स्थाापित कर दी गई पर इसके मेन्टेनेन्स का कोई भी बजट नहीं देने से लाखों रूपये लागत की ये मशीन नाकारा साबित हो रही है। शुरूआत में तो केन्द्र की ओर से इसका एएमसी (अन्यूएल मेन्टेनेन्स काँन्टे्रक्ट)कराया पर बाद में बजट के अभाव में बंद कर दिया गया ।
पांच साल से मशीन खराब है
कृषि अनुसंधान केन्द्र नौगांवा के अतिरिक्त चार्ज क्षेत्रीय निदेशक डॉ.सुभाष यादव का कहना है कि
मैने 20 दिन पहले अनुसंधान केन्द्र का अतिरिक्त चार्ज संभाला था। अब सोमवार को क्षेत्रीय निदेशक के पद पर डॉ डी के गुप्ता आ गए है । जैसा मुझे जानकारी है यह ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन पुणे के मौसम विभाग की तरफ से स्थापित किया गया था, जिसका डेटा वहां सीधे जाता है। पिछले करीब पांच साल से मशीन खराब है । पुणे मौसम विभाग की ओर से ही इसे ठीक किया जाना है।
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