छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाठ की राह पीडब्ल्यूडी और ठेकेदारों ने कठिन कर दी है। तकरीबन एक दशक के बाद इस सडक़ का विभाग ने टेंडर किया था। सडक़ का काम मेसर्स जवाहर लाल गुप्ता फर्म को मिला था। 22 किमी की ये सडक़ कहने को तो 25 जून 2023 को ही पूरी हो गई है।
पत्रिका की पड़ताल में सडक़ के किनारे रहने वालों ने बताया कि सडक़ की गुणवत्ता ऐसी है कि पिछले 3 दिन में दो हादसे हो चुके हैं। कांतिप्रकाशपुर में दुकान चलाने वाले रमेश पाण्डेय ने बताया कि उनकी दुकान के सामने ही सडक़ उखड़ी हुई है।
पुलियों के पास हुआ सेटलमेंट
22 किलोमीटर लंबी इस सडक़ के अधिकांश पुलियों के पास मिट्टी का सेटलमेंट हो गया है। इसकी वजह से जगह-जगह क्रस्ट (सडक़ बनाने के दौरान उपयोग में लाए जाने वाले मटेरियल्स) दब गया है। पहली बारिश के बाद ही क्रस्ट का दबना इसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर रहा है।
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ठेकेदारों में काम पाने की ऐसी होड़ मची है कि वे गुणवत्ता से समझौता कर रहे हैं। टेंडर्स में ठेकेदारों ने रेट इतना खराब कर दिया है कि गुणवत्ता अच्छी दे पाना आसान नहीं है। अफसरों की भूमिका भी इसमें संदेहास्पद है। सरकार को होने वाले लाभ का हवाला देकर अफसर ऐसे कामों को सेंक्सन भी कर रहे हैं।
हमने हैंडओवर नहीं लिया है
तकरीबन डेढ़ साल पहले काम शुरू हुआ था। 25 जून 2023 को ठेकेदार ने काम पूरा कर लिया है। लेकिन हमने सडक़ को हैंडओवर नहीं लिया है। बारिश की वजह से मिट्टी सेटल हुई है। इसकी वजह से राइडिंग सरफेस स्मूद नहीं है। सडक़ उखड़ी नहीं है। गुणवत्ता ठीक है।
वीरेन्द्र सिंह बेदिया, ईई, पीडब्ल्यूडी, अंबिकापुर