
Chit fund
अंबिकापुर. चिटफंड कंपनी (Chit fund Company) के खिलाफ पेश परिवाद पर विशेष न्यायाधीश बीपी वर्मा ने अन्वेषण के बाद मामले में अंतिम प्रतिवेदन पेश करने का आदेश थाना प्रभारी को दिया था।
निक्षेपकों द्वारा 20 लोगों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत पेश परिवाद पत्र को आधार मानते हुए पुलिस ने सोमवार की देर रात पूर्व सीएम रमन के पुत्र, राजनांदगांव विधायक (Rajnandgaon MLA) और महापौर के खिलाफ प्रारम्भिक स्तर पर जुर्म दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है। विधि विशेषज्ञों के अनुसार पुलिस अधिकारियों के समक्ष अब इसे साबित करना सबसे बड़ी चुनौती है।
गौरतलब है कि विशेष न्यायाधीश बीपी वर्मा के न्यायालय (Court) में अधिवक्ता संगीता सोनी द्वारा 156(3) के तहत परिवाद पेश करते हुए निक्षेपकों के हित को संरक्षित करने की बात कही गई थी। मामले में सीआरपीसी की धारा 156 (3) व धारा 10 छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2005 सहपठित धारा 3, 4 व 6 के तहत परिवाद पत्र पेश किया गया था।
विशेष न्यायाधीश बीपी वर्मा ने 156 (3) के तहत पेश परिवाद पत्र को पंजीकृत करते हुए मामले में तत्काल अन्वेषण कर अंतिम प्रतिवेदन पेश करने का आदेश दिया था।
मामले में कोतवाली पुलिस ने ग्रामीण प्रेम गुप्ता द्वारा पेश परिवाद को आधार बनाते हुए राजनांदगांव के पूर्व सांसद अभिषेक सिंह, पूर्व महापौर नरेश डाकलिया व मधुसूदन यादव सहित 20 लोगों के खिलाफ प्रारम्भिक स्तर पर एफआइआर दर्ज कर लिया है।
एफआईआर में लिखी हैं ये बातें
पुलिस ने एफआइआर (FIR) में लिखा है कि अनमोल इडिया कंपनी जिसका मुख्य कार्यालय भयंदर वेस्ट ठाणे स्थानीय मुख्य कार्यालय रायपुर (Raipur) है। सेबी के अपीलेट ट्रिब्यूनल व सुप्रीम कोर्ट द्वारा कंपनी को बंद करने का आदेश दिए जाने के बाद शासन में बैठे कुछ अधिकारियों द्वारा इसे क्लीन चिट दिया गया था।
कंपनी (Chit fund Company) का छलपूर्वक प्रचार-प्रसार कंपनी के डायरेक्टर व कोर समिति सदस्य व अन्य स्टार प्रचारकों द्वारा कर यह विश्वास दिलाया गया कि उनकी कंपनी सही है, कभी भी बंद नहीं हो सकती है। कंपनी में निवेश करने पर लाभ होगा। इसकी वजह से प्रेम गुप्ता ने 10 हजार रुपए निवेश किए थे।
मामले की शिकायत प्रेम गुप्ता द्वारा कलक्टर, एसपी व पुलिस से से की थी लेकिन शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस ने मामले में 20 लोगो के खिलाफ धारा 420, 120 बी व 34 के तहत जुर्म दर्ज कर विवेचना शुरू कर दिया है।
न्यायालय ने अंतिम प्रतिवेश पेश करने का दिया है आदेश
न्यायालय ने जांच कर अंतिम प्रतिवेदन पेश करने का आदेश दिया है। अंतिम प्रतिवेदन पेश करने से पूर्व जांच के लिए एफआइआर करना जरूरी है। इसकी वजह से परिवाद पत्र को अभी आधार बनाया गया है। अंतिम प्रतिवेदन जब पेश होगा तब हकीकत सामने आ जाएगा।
केसी अग्रवाल, आईजी
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Published on:
19 Jun 2019 10:01 am
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