अंबिकापुर। नगर निगम की सामान्य सभा की बैठक में विपक्ष ने सत्ता पक्ष को पेयजल की ज्वलंत समस्या, नजूल भूमि पर १५२ प्रतिशत के तहत फर्जी पट्टा देने, डामरीकरण में भेदभाव करने सहित अन्य मुद्दों पर घेरने की कोशिश की। वहीं सत्ता पक्ष ने आरोपों को खारिज करते हुए बचने की कोशिश की।
नगर निगम की सामान्य सभा शुक्रवार की दोपहर १२ बजे से सरगुजा सदन में सभापति अजय अग्रवाल की उपस्थिति में शुरू की गई। सबसे पहले नवपदस्थ निगम आयुक्त का स्वागत किया गया। बैठक की शुरूआत हंगामेदार रही। निगम क्षेत्र में पेयजल की ज्वलंत व गंभीर समस्या को सत्तापक्ष द्वारा एजेंडे में २० नंबर पर रखे जाने पर विपक्ष ने आपति जताते हुए कहा कि पेयजल शहर का सबसे ज्वलंत मुद्दा है और उसे एजेंडे में अंतिम में रखा गया है। नेता प्रतिपक्ष प्रबोध मिंज ने कहा कि १०६ करोड़ की राशि का दुरुपयोग किया गया है।
अगर इस राशि का सही से उपयोग किया गया होता तो आज शहरवासियों को पेयजल की समस्या से नहीं जूझना पड़ता। विपक्ष ने कहा कि अगर अमृत मिशन के तहत पैसा नहीं आता तो कई लोग पेयजल की समस्या से ग्रसित होकर शहर छोड़ पलायन कर जाते। इतनी बड़ी गंभीर समस्या को लेकर सत्ता पक्ष द्वारा एक बार भी चर्चा नहीं की गई। अभी भी स्थिति कोई बेहतर नहीं है।
बांकी डेम में मात्र दस प्रतिशत ही पानी भर पाया है। अगर कोई ठोस पहल नहीं की गई तो आने वाले कुछ दिनों में पुन: स्थिति खराब हो सकती है। वहीं मामले में सत्ता पक्ष से पीडब्ल्यूडी प्रभारी शफी अहमद ने कहा कि अब धीरे-धीरे पेयजल की समस्या में सुधार हो गया है। इस गंभीर समस्या के प्रति विपक्ष को खुद भी आगे आकर चर्चा करनी चाहिए। इसके बाद भाजपा समर्थित पार्षद आलोक दुबे ने शासन के नियम के तहत नजूल भूमि पर १५२ प्रतिशत के तहत पट्टा देने के मामले में फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया। आलोक दुबे ने कहा कि मात्र २० प्रतिशत पट्टा शासन के नियम के तहत दिया गया है।
बाकी ८० प्रतिशत पट्टों में बिना जांच के नगर निगम द्वारा एनओसी दे दिए गए हैं। पार्षद आलोक दुबे ने कहा कि अगर ऐसी स्थिति रही तो नगर निगम को जरूरत पडऩे पर सामुदायिक भवन बनाने के लिए सोचना पड़ेगा। शासन के नियम के तहत वर्ष २०१७ के पहले से भूमि पर काबिज हितग्राही को ७ डिस्मिल के अंदर के लिए एनओसी देना है। लोग रह कहीं और रहे हैं और उन्हें पट्टा के लिए एनओसी कहीं और का दे दिया गया है। सहायक नजूल अधिकारी द्वारा १५७८ लोगों को एनओसी दे दिया गया है, जबकि यह मात्र २० प्रतिशत ही सही है।
८० प्रतिशत एनओसी गलत तरीके से दे दिया गया है। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष की ओर से शफी अहमद ने कहा कि शासन के पत्र के अनुसार १५२ प्रतिशत के लिए कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में निगम आयुक्त भी रहते हैं। विपक्ष द्वारा फर्जी तरीके से एनओसी देने का आरोप लगाया गया है तो इसकी जांच कराई जाएगी। गूगल मैप से जांच कराई जाएगी कि वास्तविक कब्जे की स्थिति क्या है।
डामरीकरण कार्य में भेदभाव का आरोप
विपक्ष के पार्षद मधुसूदन शुक्ला ने आरोप लगाया कि सडक़ों का डामरीकरण आधा-अधूरा कराया गया है। निविदा पूरी सडक़ की होती है और डामरीकरण आधी सडक़ का कराया जाता है। वहीं उन्होंने कहा कि गर्मी के दिनों में डामरीकरण का काम बंद करा दिया गया और आनन फानन में बारिश के दिनों में कुछ विशेष सडक़ों पर डामरीकरण कराया जा रहा है। जबकि सडक़ें सभी बननी चाहिए पर सडक़ डामरीकरण में भेदभाव किया जा रहा है। इस मुद्दे पर सत्तापक्ष की ओर से शफी अहमद ने कहा कि २२ करोड़ की राशि स्वीकृत है। ठेकेदार द्वारा काम कराया जा रहा है। रिटेंडर भी कराया गया है। १५ सितंबर के बाद पुन: सडक़ों का डामरीकरण का कार्य शुरू कराया जाएगा। समय सीमा के तहत कार्य पूर्ण कराया जाएगा।