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पर्ल हार्बर युद्ध के सबसे बुजुर्ग अमरीकी योद्धा का 106 वर्ष की उम्र में निधन

पिछले साल मई में उन्होंने वाशिंगटन डीसी में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी

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पर्ल हार्बर युद्ध के सबसे बुजुर्ग अमरीकी योद्धा का 106 वर्ष की उम्र में निधन

वाशिंगटन। पर्ल हार्बर युद्ध के सबसे बुजुर्ग योद्धा का निधन बुधवार को हो गया। 106 साल के रे चावेज इस युद्ध में जीवित बचने वाले सबसे उम्रदराज सैन्यकर्मी थे। चावेज की बेटियों ने मीडिया को बताया की खराब सेहत से जूझ रहे चावेज ने सैन डियागो में अंतिम सांसें लीं। पिछले साल मई में उन्होंने वाशिंगटन डीसी में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी। उन्हें मेमोरियल डे पर सम्मानित किया गया था। उनके निधन को लेकर व्हाइट हाउस ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि हमें पता चला कि पर्ल हार्बर का सबसे बुजुर्ग सैन्यकर्मी हमारे बीच नहीं रहे।पिछले साल व्हाइट हाउस में उन्हें सम्मानित भी किया गया था। आपने देश के लिए महान योगदान दिया है।

युद्ध में करीब 2335 सैन्य जवानो की मौत

नेशनल पार्क सर्विस के इतिहासकार मार्टिनेज के अनुसार हवाई स्थित पर्ल हार्बर युद्ध में बचने वाले चावेज सबसे उम्रदराज सैन्य योद्धा थे। गौतरलब है कि जापान से हुए इस युद्ध में करीब 2335 अमरीकी जवानो की मौत हो गई थी। इसमें 68 आम नागरिक भी मारे गए थे। 2016 में सम्मानित होने के दौरान चावेज ने बताया कि सात दिसंबर का वह दिन था, वह रात भर पेट्रोलिंग के बाद अपने घर सोने चले गए थे। दस मिनट हुआ था कि उनकी पत्नी ने उन्हें सूचना दी कि जापनियों ने पर्ल हार्बर आक्रमण कर दिया है। जब तक वह घटना स्थल पर पहुंचे तब तक जापानी सेना ने भारी तबाही मचा दी। चारों तरफ लाशें और धुआ दिखाई दे रहा था।

गंभीर तनाव की बीमारी से ग्रस्त

1945 में उन्होंने सेना से रिटायरमेंट ले लिया। उन्हें गंभीर तनाव की बीमारी ने घेर लिया था। वह सेंटटियागो पहुंचे और ग्राउडकीपर की नौकरी पकड़ ली। इस दौरान उन्होंने काफी अनुशासन के साथ जीवन यापन किया। सही समय पर खाना और सोना उनकी नियमित दिनचर्या हो गई। 1912 में जन्मे चावेज के माता पिता फूलों की दुकान चलाते थे। 1938 में चावेज ने नेवी ज्वाइन की। पिछले साल मेमोरियल डे के दौरान उन्हें ट्रंप ने सम्मानित किया और उनके साथ फोटो भी खिंचाई। इस दौरान उन्हें कई मौके पर आने का निमंत्रण भी मिलता रहा। जनता के बीच वह एक हीरों थें। आयोजन के दौरान आम जनता उनके हस्ताक्षर ले के लिए टूट पड़ती थी।