
न्यूयॉर्क: सीरिया पर अमेरिका के नेतृत्व में हुए हवाई हमलों के खिलाफ न्यूयॉर्क के यूनियन स्क्वायर में विरोध प्रदर्शन हुए। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के क्वीन्स कॉलेज के सहायक लेक्चरर गॉर्डन बार्न्स ने कहा, "मैं इसके खिलाफ हूं। यह मध्यपूर्व में अमेरिकी तानाशाही का एक और उदाहरण है।"समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, शनिवार को हुए इस प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले बार्न्स का कहना है कि मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि सैन्य हमलों से सीरिया में समस्याओं का समाधान होगा ।
हाल के कुछ वर्षो में शरणार्थी संकट को लेकर हुए विवाद के बारे में पूछने पर बार्न्स ने कहा कि वह अमेरिका में शरणार्थियों को शरण देने के पक्ष में है क्योंकि अमेरिका इस संकट के लिए कहीं न कहीं जिम्मेदार है, सिर्फ सीरिया में ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी। बर्न्स की तरह कई लोगों ने सीरिया में हवाई हमलों के विरोध पर चिंता जताई है। अन्य लोगों ने इस हमले की वैधता को लेकर सवाल उठाए हैं। न्यूयॉर्क शहर के एक निवासी ने कहा, "मेरा दिल सीरिया के उन निर्दोष लोगों के लिए पसीज रहा है, जो बेवजह इससे जूझ रहे हैं।"
हमले में 70 से ज्यादा मौत
गौरतलब है कि शुक्रवार रात को अमेरिका के नेतृत्व में फ्रांस और ब्रिटेन ने सीरिया पर संयुक्त हमला बोला था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सीरियाई समकक्ष बशर अल असद द्वारा पूर्वी गूता के डौमा में कथित रासयनिक हमला करने के मद्देनजर यह कार्रवाई करने की बात कही थी। इस रासायनिक हमले में 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
अमरीका क्यों है नाराज
अमरीका की नाराजगी का कारण ही है कि क्षेत्रीय और विश्व शक्तियों को सीरिया विवाद में दखल देना पड़ा। ईरान और रूस सीरिया की सरकार को सैन्य और वित्त सहयोग दे रहे हैं। असद का शिया होने की वजह ईरान खुलकर सीरिया का समर्थन करता है। जबकि सुन्नी बहुल विपक्ष को अरब के खाड़ी देशों, तुर्की और अमरीका सहित पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल है।
Published on:
15 Apr 2018 03:53 pm
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