मनोविज्ञान के प्रोफेसर स्टीव जॉर्डन ने कहा कि क्लासरूम में अचानक यह पोर्न वीडियो प्ले हो गया। यह गैर-इरादतन हुआ क्योंकि ऐसा करने का किसी का उद्देश्य नहीं था। अपनी सफाई में स्टीव जॉर्डन ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी का मनोरंजन करना या स्टूडेंट्स का ध्यान भटकाना नहीं था। पोर्न वीडियो प्ले होने पर पहले तो स्टूडेंट्स को कुछ समझ नहीं आया लेकिन बाद में उन्होंने मामले को प्रोफेसर द्वारा स्टूडेंट्स का ध्यान खींचने के प्रयास के रूप में समझा। जहां कुछ स्टूडेंट्स का कहना है कि ऐसा लापरवाही में हो गया तो वहीं कुछ स्टूडेंट्स दावा किया कि स्टूडेंट्स का ध्यान खींचने के लिए यह प्रोफेसर द्वारा उठाया गया एक अच्छा कदम था। बताया जा रहा है कि जहां कुछ स्टूडेंट्स पॉर्न क्लिप देखकर संकोच और शर्म से भर गए तो कुछ दूसरे इंजॉय करते हुए नजर आए।
यूनिवर्सिटी की क्लीन चिट
यूनिवर्सिटी ने इस घटना के बाद भी पोर्न दिखाने वाले टीचर पर कोई कार्रवाई नहीं की। यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि ‘हम इस तरह के निजी मसलों पर किसी तरह की प्रतिक्रिया देना उचित नहीं समझते। अगर किसी स्टूडेंट को इस वजह से कोई असहज स्थिति नजर आ रही है तो उन्हें हम यूनिवर्सिटी के स्वास्थ्य विभाग में काउंसलिंग की सलाह देंगे।’ यूनिवर्सिटी ने कहा कि इस उम्र के स्टूडेंट्स मानसिक और शारीरिक रूप से व्यस्क हो जाते हैं इसलिए वो खुद ये फैसला करने में समर्थ हैं कि क्या सही है और क्या गलत। पोर्न वीडियो प्ले होने की घटना के बाद स्टूडेंट्स ने सोशल मीडिया साइट्स पर भी इस घटना का विडियो शेयर किया है।