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दुश्मनों को देंगे मुंह तोड़ जवाब, Indian Army को राजनाथ सिंह ने सौंपी अमेठी में तैयार AK-203 राइफल

वर्ष 2013 में इंसास राइफल को एके-203 में कुछ बदलवा करके इसे एके-103.3 नाम दिया गया। वर्ष 2019 में एके-300 और एके-100 एम राइफल्‍स का नाम दिया गया। वर्ष 2019 में इसको एके-203 नाम दिया गया। मंगलवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इंडियन आर्मी को आधुनिक सुविधाओं से लैस AK-203 राइफल सैंपी।

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AK-203 Riffle

राजनीतिक रूप से अपनी अलग पहचान रखने वाले अमेठी अब आधुनिक हथियार में भी विकसित हो रही है। देश की हिफाजत करने वाले रणबांकुरों के हाथ में लहराने वाली असॉल्ट AK-203 भी इस जिले की याद में बनी रहेगी। मंगलवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने देश के जवानों को अमेठी में निर्मित की गई AK-203 राइफल्स की पहली खेप को सेना के सुपुर्द कर दिया है। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि अमेठी की पहचान AK-203 राइफल होगी। आज तीन साल बाद यह बात सत्य भी हो गई। रूस के तकनीक से निर्मित यह राइफल भारत सीमा पर घुसपैठ करने वाले बदमाशों के छक्के छुड़ाएगी।

अमेठी जिले को मिली नई पहचान

अमेठी के एचएएल कोरवा परिसर में बनी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की राइफल अब अमेठी की पहचान बनेगी। पीएम मोदी ने उस वक्त जो कहा था वह तब लोगों को समझ में आया, जब यहां रूस के सहयोग से बनने वाली दुनिया की सबसे अत्याधुनिक AK-203 राइफलों के उत्पादन की मंजूरी मिली।

AK-203 में है ये खूबियां

एके-203 असॉल्ट राइफल कलाश्विकोव सीरीज की सबसे आधुनिक और घातर राइफल है। ये राइफल घुसपैठ और आतंकवाद करने वाले रोधी अभियान में भारतीय सेना की ताकत को बढ़ाएंगे। इंसास राइफल की तुलना में AK-203 असॉल्ट राइफल छोटी, हल्की और ज्यादा घातक है। AK-203 का वजन 3.8 किलोग्राम है, जबकि इंसास राइफल का वजन बिना मैगजीन और बेयोनेट के भी 4.15 किलोग्राम होता है। वहीं इंसास की लंबाई 960 मिलीमीटर होती है, जबकि AK-203 बस 705 मिलिमीटर लंबी है।

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