गांधीनगर. जैन विश्व भारती मान्य विश्वविद्यालय, लाडनूं का 16वां दीक्षांत समारोह सोमवार को कोबा िस्थत प्रेक्षा विश्व भारती में आयोजित हुआ। 3700 विद्यार्थियों को पीएचडी सहित विभिन्न डिग्री प्रदान की गई।जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य श्री महाश्रमण के सानिध्य में कुलपति प्रो. बच्छराज दुग्गड़ ने समारोह की अध्यक्षता की। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन […]
गांधीनगर. जैन विश्व भारती मान्य विश्वविद्यालय, लाडनूं का 16वां दीक्षांत समारोह सोमवार को कोबा िस्थत प्रेक्षा विश्व भारती में आयोजित हुआ। 3700 विद्यार्थियों को पीएचडी सहित विभिन्न डिग्री प्रदान की गई।
जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य श्री महाश्रमण के सानिध्य में कुलपति प्रो. बच्छराज दुग्गड़ ने समारोह की अध्यक्षता की। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत विशेष रूप से उपस्थित थे।
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि समस्या समाधान में अपने ज्ञान का उपयोग करें। विद्या जीवन के लिए महत्वपूर्ण तत्व होता है। ज्ञान से समस्या को पैदा भी किया जा सकता है तो समाधान भी किया जा सकता है। ज्ञान के साथ संयम जुड़ा हुआ रहे।
केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने भारत में विद्यमान सहिष्णुता के भाव को महान बताया और कहा कि इसी कारण हमारी संस्कृति विश्व में अब भी कायम है। उन्होंने जैन दर्शन के अनेकांत, अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, संयम व प्रेक्षा के विचारों को सबके लिए आदर्श बताते हुए उनको अपने जीवन में उतारने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विद्यार्थियों से सत्यव्रत, अहिंसाव्रत और सेवाव्रत की प्रतिज्ञा भी करवाई।