-आईसीएमएआई दिसंबर 24 की फाइनल, इंटरमीडिएट परीक्षा का परिणाम घोषित, अहमदाबाद चैप्टर से 35 विद्यार्थी बने सीएमए
द इंस्टीट्यूट ऑफ कोस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएमएआई) की ओर से दिसंबर 2024 में ली गई सीएमए फाइनल और इंटरमीडिएट परीक्षा का परिणाम मंगलवार को घोषित किया गया। अहमदाबाद चैप्टर से 35 विद्यार्थी सीएमए बने हैं। सीएमए इंटरमीडिएट में दो विद्यार्थियों ने ऑल इंडिया रैंक पाई।दोनों परीक्षाओं में चैप्टर स्तर पर अव्वल रहे विद्यार्थियों ने सफलता के टिप्स साझा किए।
सीएमए फाइनल में 800 में से 488 अंक लाने वाले मयंक जैन ने बताया कि सफलता पाने के लिए मॉक टेस्ट देना काफी मददगार साबित होता है। इससे पेपर में कैसे प्रश्न पूछे जाएंगे उसका जवाब कैसे देना है, उसका पता चलता है। उन्होंने समय सारिणी बनाकर दैनिक आठ से 10 घंटे की पढ़ाई की है। संस्थान का स्टडी मटीरियल काफी है,लेकिन और बेहतर करने के लिए सीए के अकाउंटिंग का मटीरियल भी पढ़ सकते हैं। उन्होंने दो मॉक टेस्ट दिए। रिवीजन पर भी ध्यान दिया। मूलरूप से राजस्थान के उदयपुर जिले के लकड़वास निवासी मयंक वस्त्राल में रहते हैं। वे परिवार के इकलौते सीएमए हैं। वे चैप्टर स्तर पर फाइनल में पहले स्थान पर रहे।
सीएमए फाइनल में 800 में से 487 अंक लाने वाले जिग्नेश प्रजापति मूलरूप से राजस्थान के जयपुर जिले के धुळा गांव के रहने वाले हैं। अहमदाबाद में मेघाणीनगर में रहते हैं। वे बताते हैं कि सफलता के लिए कोर्स को पूरा करने के बाद रिवीजन पर ध्यान देना जरूरी है। पूरे कोर्स का दो बार रिवीजन किया। लिखने की प्रेक्टिस करनी चाहिए। उन्होंने चार से पांच अटैम्ट के पुराने पेपर हल किए। हमेशा सीखने का माइंडसेट रखना चाहिए।
सीएमए फाइनल में 800 में से 480 अंक लाने वाले करण सोनी ने बताया कि प्लानिंग के साथ तैयारी करनी चाहिए। सभी विषयों को समय देना चाहिए। पढ़ाई में निरंतरता रखनी जरूरी है। मॉक टेस्ट, रिवीजन और पुराने पेपर हल करना काफी मददगार होता है।
सीएमए इंटरमीडिएट में 800 में से 531 अंक लाकर ऑल इंडिया में 48वीं रैंक लाने वाले राज गौतम का कहना है कि सफलता के लिए जरूरी है कि टाइम का बेहतर मैनेजमेंट किया जाए। पढ़ाई में निरंतरता रखनी चाहिए। रिवीजन करें और प्रोडक्टिव तरीके से पढ़ाई करें। मूलरूप से मध्यप्रदेश के सागर शहर निवासी राज हाल अहमदाबाद में सत्ताधार में रहते हैं।
49 वर्षीय हर्षित ठाकर भी सीएमए बने हैं। पढ़ाई छोड़ने के 20 साल बाद कोरोना महामारी के समय 2020 में फिर से पढ़ाई शुरू की। टाटा केमिकल्स में डीजीएम पद पर कार्यरत हर्षित ने तीसरी बार में सफलता पाई और वे सीएमए बन गए। वे बताते हैं कि कोरोना के दौरान समय नहीं कट रहा था, जिससे उन्होंने सीएमए की तैयारी शुरू की। ग्रुप तीन में दो बार सफलता नहीं मिली, लेकिन तीसरी बार में वह सफल हो गए। उनके साथ उनका बेटा भी सीएमए फाइनल की तैयारी कर रहा है। इस बार उसे चार अंक कम पड़े हैंं।