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Ahmedabad: फर्जी कंपनी, बैंक अकाउंट खोलकर साइबर ठगी के पैसों की हेराफेरी का पर्दाफाश

अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने सीजी रोड पर दबिश देकर चार्टर्ड अकाउंटेंट सहित दो को पकड़ा, 50 लाख की नकदी भी बरामद

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Ahmedabad Crime Branch

Ahmedabad. फर्जी कंपनियां और बैंक अकाउंट खोलकर उसके जरिए साइबर ठगी के पैसों की हेराफेरी करने के एक बड़े मामले का अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने पर्दाफाश किया।

नवरंगपुरा क्षेत्र के सी जी रोड पर समुद्र कॉम्पलेक्स में शुक्रवार को दबिश देकर टीम ने चार्टर्ड अकाउंटेंट सहित दो लोगों को पकड़ा। इन आरोपियों में सीए आकाश सोनी (31) और मनोज रामावत (44) शामिल है। सोनी सुरेन्द्रनगर जिले के राजसीतापुर गांव का मूल निवासी है जो अहमदाबाद में बोडकदेव में रहता है। वहीं रामावत मूल रूप से राजस्थान के नागौर जिले के बड़ी खाटू गांव का मूल निवासी है जो अहमदाबाद के राणीप इलाके में रहता है। इस मामले में 50 लाख की नकदी, 12 मोबाइल फोन सहित 51.90 लाख का मुद्दामाल जब्त किया गया।

क्राइम ब्रांच के एसीपी भरत पटेल ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया कि हमें सूचना मिली थी कि सी जी रोड स्थित सीए की एक कंपनी में सीए और बैंक का कामकाज करने वाला व्यक्ति फर्जी कंपनियां, बैंक अकाउंट खोलकर उसके जरिए साइबर ठगी के पैसों की हेराफेरी करता है। इस आधार पर शुक्रवार को दबिश देकर मौके से सीए सोनी और रामावत को पकड़ा है। रामावत ने बैंक में 15 सालों तक सेल्स एक्जीक्यूटिव का काम किया। बीते छह महीने से सीए के यहां नौकरी करता है और वेतन के साथ कमीशन भी लेता था।

कार्यालय सेमिलीं 103 चेक बुक, 26 सिम कार्ड

क्राइम ब्रांच के तहत सीए के कार्यालय से 12 मोबाइल फोन, एक हार्ड डिस्क, तीन लैपटॉप, दो पेनड्राइव, 26 सिमकार्ड, 27 डेबिटकार्ड, 83 अलग-अलग कंपनी के निदेशक, प्रोपराइटर के पद के मुहर (सील), 21 राउंड सील, 26 स्टैंप, 99 स्वाइप मशीन, पांच फिंगर प्रिंट स्कैनर मशीन, 27 नेम प्लेट, 103 बैंक की चेकबुक, 50 लाख की नकदी व कई दस्तावेज मिले हैं। इन दस्तावेजों की जांच में बड़े पैमाने पर बैंक अकाउंटों में करोड़ों रुपए के ट्रांजेक्शन का पता चला है। इसमें कई साइबर फ्रॉड से संबंधित हैं। इस मामले में कई और लोगों की लिप्तता सामने आ रही है। प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की है।

ढाई साल से सक्रिय, 27 फर्जी कंपनी खोली, 15 चालू

एसीपी पटेल ने बताया कि सीए ने दो-ढाई साल से सक्रिय रहते हुए 27 फर्जी कंपनियां शुरू कीं, जिसमें 15 अभी भी कार्यरत हैं। 54 बैंक अकाउंट व कई एपीएमसी अकाउंट भी खुलवाए। आरोपी जब तक कंपनी ऑफ रजिस्ट्रार (आरओसी) में कंपनी पंजीकृत नहीं होती तब तक बताए गए पते पर कंपनी को शुरू रखता था। आरओसी पंजीकरण मिलते ही पते पर कुछ भी नहीं होता था। एक पते पर दो से तीन कंपनियों का पंजीकरण कराया और उसके आधार पर बैंकों में अकाउंट खुलवाए।

अकाउंट धारकों को देता कमीशन

प्राथमिक जांच में सामने आया कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को कमीशन का लालच देकर उनके नाम से बैंक अकाउंट खुलवाता। बैंक किट ले लेते थे। ऐसे कई बैंक खातों में साइबर ठगी के पैसे जमा हुए, जिन्हें निकाल कर दुबई व अन्य जगहों पर भेजा गया। टर्म लोन के लिए जरूरी टर्न ओवर बताना पड़े ऐसी कंपनियों की सेल, परचेस की एंट्री फर्जी कंपनी के अकाउंट से करके कमीशन लेता था। कई क्लाइटों को फर्जी कंपनी, अकाउंट खुलवाकर उन्हें अन्य को बेच देता था।

बैंक अकाउंटों के विरुद्ध चार एफआइआर

आरोपी के यहां से मिले बैंक अकाउंट में से कुछ के विरुद्ध में दिल्ली, गाजियाबाद, बेंगलूरु, मुंबई में साइबर ठगी की चार शिकायतें मिली हैं।