अहमदाबाद

दो साल पूर्व हुई महिला की अनसुलझी रहस्यमय हत्या की गुत्थी सुलझी, आरोपी पति को पकड़ा

हेड कांस्टेबल की संवेदनशीलता, सतर्कता और तकनीक का समन्वय अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेस वे पर मिला था शव, घायल अवस्था में पड़ी बालिका की आंसू भरी आंखें दिमाग से नहीं गईं : प्रदीपसिंहआणंद. खेड़ा जिले में दो साल से अनसुलझे एक हत्या के मामले को पुलिस की संवेदनशीलता, सतर्कता और तकनीक के संयोजन से सुलझा लिया गया […]

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हेड कांस्टेबल प्रदीप सिंह का सम्मान करते खेड़ा के कलक्टर अमित प्रकाश यादव व पुलिस अधीक्षक राजेश गढि़या।

हेड कांस्टेबल की संवेदनशीलता, सतर्कता और तकनीक का समन्वय

अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेस वे पर मिला था शव, घायल अवस्था में पड़ी बालिका की आंसू भरी आंखें दिमाग से नहीं गईं : प्रदीपसिंह
आणंद. खेड़ा जिले में दो साल से अनसुलझे एक हत्या के मामले को पुलिस की संवेदनशीलता, सतर्कता और तकनीक के संयोजन से सुलझा लिया गया है। एक महिला की हत्या कर उसकी मासूम बेटी को शव के पास छोड़ने वाले आरोपी को पकड़ लिया गया है। जिस तरह एक शव के पास छोड़ी गई मासूम बच्ची का चेहरा और आंसू भरी आंखें एक हेड कांस्टेबल के दिमाग पर छा गई थीं, उसी तरह इंस्टाग्राम पर ऐसी ही आंखों वाली एक बच्ची की तस्वीर पोस्ट करने से पूरा मामला सुलझ गया।
हेड कांस्टेबल प्रदीप सिंह का कहना है कि एलसीबी के तकनीकी सेल में काम करने के कारण उन्हें जिले में होने वाली घटनाओं में तकनीकी मामलों में मदद करने के लिए घटनास्थल पर जाना पड़ता है, लेकिन 5 दिसंबर 2022 को नडियाद ग्रामीण पुलिस स्टेशन में दर्ज एक हत्या की घटना को मैं नहीं भूल पाया हूं।

अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेस वे पर मिला था शव, घायल अवस्था में पड़ी बालिका की आंसू भरी आंखें दिमाग से नहीं गईं : प्रदीपसिंह

अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेस वे पर एक महिला की हत्या किया हुआ शव मिला, उसके पास तीन साल की बच्ची खुशी घायल अवस्था में रो रही थी। लड़की अपना नाम खुशी, पिता का नाम उदय और मां का नाम पूजा बता रही थी और बस इतना ही कह रही थी कि पापा ने मम्मी को मारा, मुझे पटक गए, कनैया को ले गए।
खुशी के वे शब्द और उसकी नम आंखें मेरे दिमाग से नहीं गई। बालिका को उसके उचित पालन-पोषण और देखभाल के लिए खेड़ा स्थित एक बाल देखभाल संस्थान में रखा गया। हमारे पुुुलिस अधीक्षक राजेश गढ़िया हर अपराध गोष्ठी में इस केस की स्थिति के बारे में पूछते थे और इसके खुलासे के लिए विशेष प्रयास करने का आदेश देते थे। दूसरी ओर, हमारे पुलिस निरीक्षक के मार्गदर्शन में मैं और मेरे सहकर्मी भी समय-समय पर इस संस्था का दौरा करते थे। खुशी के साथ कुछ सहानुभूतिपूर्ण बातचीत करके, अप्रत्यक्ष रूप से उसके पिता या अन्य लिंक को खोजने की कोशिश करते थे।
हमने मृत महिला और परित्यक्त बच्चे की पहचान करने के साथ-साथ हत्या का पता लगाने के लिए दिन-रात काम किया। उनके चेहरे और पहनावे के आधार पर उन्हें प्रवासी समझा गया और उनकी तस्वीरों के साथ गुजराती-हिंदी में पोस्टर बनाकर अंतरराज्यीय बसों और ट्रेनों में लगा दिए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनकी पहचान करने की कोशिश की और घटनास्थल पर मोबाइल टावर की लोकेशन का विश्लेषण किया, लेकिन वे असफल रहे।
एक सप्ताह पहले 7 फरवरी को मैं अपना ऑफिस का काम खत्म करके रात करीब 8.30 बजे घर पर बैठा था। मैं अपने इंस्टाग्राम पर स्क्रॉल कर रहा था, तभी एक पोस्ट पर मेरा ध्यान गया। यह पोस्ट आणंद जिले के वासद पुलिस स्टेशन की सीमा के भीतर अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेस वे पर मिले एक बच्चे के बारे में थी। मुझे लगा कि इस पोस्ट में उल्लिखित विवरण 2022 के मामले के समान थे।
जैसे ही मैंने इस बच्ची की तस्वीर देखी, मेरे दिमाग में उस छोटी बच्ची खुशी की आंखें घूम गईं जो पिछले दो सालों से मेरे दिमाग में घूम रही थी। आंखे और एक और समानता थी उस पोस्ट का विवरण। जिसमें 'कनैया और उदय नाम का उल्लेख था। मुझे खुशी के शब्द याद आने लगे, पापा ने मम्मी को मारा, मुझे पटक गए, कनैया को ले गए।

वीडियो कॉल से भाई को पहचाना

मैंने पुलिस निरीक्षक से बात की और अगली सुबह हम आणंद के अनाथालय पहुंचे जहां उस बालक को रखा गया था। वह हिन्दी में काफी अस्पष्ट ढंग से बोल रहा था। थोड़ी देर उससे करने के बाद हमने खुशी को वीडियो कॉल किया। मात्र तीन सेकंड में खुशी बोली, कनैया। इसके साथ ही पुष्टि हुई कि ये दोनों भाई-बहन हैं। तय हो गया है कि उनकी माता की हत्या का आरोपी पिता ही है। हम कनैया को खुशी के पास ले गए। दोनों आश्रम में मस्ती करने लगे।

मोबाइल पर फोटो देखकर कहा, पापा

साथ ही, हमने उनके साथ बच्चों जैसा व्यवहार किया और उनसे दोस्ती भी की। फिर हमने कनैया को खेलने के लिए मोबाइल दिया। मोबाइल फोन से खेलते हुए हमने कनैया को कहा कि पिता को फोन करो…" कनैया ने अपने पिता का मोबाइल नंबर डायल किया लेकिन अगले पांच अंक ही उसे याद थे।
उन्होंने 2022 में घटना के समय एकत्र किए गए मोबाइल टावर डेटा डंप की जांच शुरू की। इन पांच संख्याओं से शुरू होने वाली 40 संख्याएं पाई गईं। इस धारणा के आधार पर कि यह परिवार प्रवासी था, विश्लेषण किया तो 4 संख्याएं सामने आईं। थर्ड पार्टी ऐप की मदद से उन्होंने इस मोबाइल नंबर को सर्च किया और यूजर की एक फोटो मिली। बॉडी बिल्डिंग करता एक फोटो सामने आया, जब उन्होंने खुशी और कनैया को वह फोटो दिखाई तो दोनों ने तुरंत कहा, पापा।
इस नंबर और फोटो के आधार पर नडियाद पुलिस ने लोकेशन समेत सारी डिटेल निकालकर दो साल पहले अपने दो बच्चों की हत्या और उन्हें छोड़ने के मामले में शामिल पिता उदय को अहमदाबाद से गिरफ्तार कर लिया। साथ ही पुलिस ने कनैया को एक्सप्रेस हाइवे पर छोड़ने वाली उसकी दूसरी पत्नी को भी गिरफ्तार कर लिया
यह कोई और नहीं बल्कि उनका अपना पिता उदय है, जिसने इन दोनों बच्चों की मां की बेरहमी से हत्या कर दी थी। मैं दोनों भाई-बहनों को अब मातृछाया संस्थान में एक साथ आनंद लेते देखकर खुश हूं।

डीजीपी ने की सराहना

राज्य के पुलिस महानिदेशक विकास सहाय ने संवेदनशीलता, सतर्कता और तकनीक के संयोजन के माध्यम से एक चौंकाने वाले हत्या के मामले का पता लगाने के लिए खेड़ा नडियाद जिले के एक हेड कांस्टेबल और उनकी पूरी टीम की सराहना की।

Published on:
14 Feb 2025 10:14 pm
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