अहमदाबाद

विकास महोत्सव की पृष्ठभूमि में त्याग व विसर्जन की भावना : आचार्य महाश्रमण

तेरापंथ धर्मसंघ का 32वां विकास महोत्सव मनाया, योगक्षेम वर्ष के लोगो का किया अनावरण गांधीनगर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में सोमवार को 32वां विकास महोत्सव आध्यात्मिक रूप में मनाया गया। तेरापंथ धर्मसंघ के 9वें अधिशास्ता गणाधिपति गुरुदेव तुलसी के पट्टोत्सव को विकास महोत्सव के रूप में आयोजित किया जाता […]

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गांधीनगर में कोबा स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में योगक्षेम वर्ष के लोगो का अनावरण किया गया।

तेरापंथ धर्मसंघ का 32वां विकास महोत्सव मनाया, योगक्षेम वर्ष के लोगो का किया अनावरण

गांधीनगर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में सोमवार को 32वां विकास महोत्सव आध्यात्मिक रूप में मनाया गया। तेरापंथ धर्मसंघ के 9वें अधिशास्ता गणाधिपति गुरुदेव तुलसी के पट्टोत्सव को विकास महोत्सव के रूप में आयोजित किया जाता है।
गांधीनगर में कोबा स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में चातुर्मास के दौरान सोमवार को वीर भिक्षु समवसरण में उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ के मध्य आचार्य महाश्रमण के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ विकास महोत्सव के कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।
आचार्य ने चतुर्विध धर्मसंघ के समक्ष कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ में दो महोत्सव वर्तमान में मनाए जा रहे हैं। एक वर्धमान महोत्सव जो शेषकाल में मनाया जाता है और विकास महोत्सव चतुर्मास के दौरान मनाया जाता है। यह विकास महोत्सव एक तिथि से जुड़ा है। इसकी देन में दो का योग हैं- एक आचार्य तुलसी और दूसरे आचार्य महाप्रज्ञ।
उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी ने आचार्य पद को छोड़ दिया। हालांकि तेरापंथ की परंपरा में आचार्य पद जीवन पर्यन्त रहने वाला पद है, किन्तु उन्होंने इस पद का संघहित में अपने पद का विसर्जन करते हुए युवाचार्य महाप्रज्ञ को आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया। इस विकास महोत्सव की पृष्ठभूमि में त्याग और विसर्जन की भावना है। आचार्य तुलसी ने कहा था कि अब मेरा पट्टोत्सव नहीं मनाया जाएगा। इस पर आचार्य महाप्रज्ञ ने एक चिंतन दिया था कि हम आपका पट्टोत्सव नहीं तो हम इसको विकास महोत्सव के रूप में मनाएंगे। दोनों आचार्यों के बहुत उन्नत विचारों से यह विकास महोत्सव पैदा हुआ।
आचार्य महाश्रमण ने दोनों आचार्यों के हस्ताक्षर से युक्त विकास महोत्सव के आधार पत्र का वाचन किया। उन्होंने कहा कि विकास करना है तो उसकी तटस्थ समीक्षा होनी चाहिए। उजाले और अंधेरे पक्ष को देखकर अंधेरे पक्ष को दूर करने का प्रयास अथवा कम करने का प्रयास होना चाहिए। विशेषताओं को स्वीकार करने के साथ-साथ कोई कमजोरी भी है तो उसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के अंतर्गत यह विकास महोत्सव मना रहे हैं।

योगक्षेम वर्ष लाडनूं में

आचार्य महाश्रमण ने कहा कि साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा के विशेष योगदान के कारण हमने योगक्षेम वर्ष लाडनूं में करने का निर्णय किया है। 6 फरवरी को लाडनूं के जैन विश्व भारती में प्रवेश करना है। 19 फरवरी को आचार्य कालूगणी के जन्मदिवस के दिन अर्थात् फाल्गुन शुक्ला द्वितीया को योगक्षेम वर्ष का शुभारम्भ करने का निर्णय किया है। 2027 के मर्यादा महोत्सव के दौरान योगक्षेम वर्ष की सम्पन्नता की घोषणा करने का विचार किया है। यह योगक्षेम वर्ष अच्छे आध्यात्मिक-धार्मिक विकास के रूप में सम्पन्न हो, आगे बढ़े। विकास परिषद के सदस्य यहां पहुंचे हैं। प्रेक्षाध्यान का वर्ष भी चल रहा है। इसका विदेश में भी कार्य हो रहा है। शिक्षा, संस्कार, स्वास्थ्य, सेवा की भावना आदि सभी में रहें।
इस अवसर पर आचार्य ने विकास महोत्सव के संदर्भ में स्वरचित गीत का संगान किया। गीत के बाद आचार्य ने साधु-साध्वियों, समणियों के चतुर्मास के दौरान विहार-प्रवास से संदर्भ में दिशा-निर्देश भी दिए। आचार्य महाश्रमण योगक्षेम वर्ष व्यवस्था समिति-लाडनूं के पदाधिकारियों ने आचार्य के समक्ष योगक्षेम वर्ष के लोगो का अनावरण किया। संघगान के साथ ही आचार्य ने 32वें विकास महोत्सव के कार्यक्रम की सम्पन्नता की घोषणा की।

Published on:
01 Sept 2025 11:13 pm
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