भुज में पर्यावरण शुद्धि तथा वृष्टि महायज्ञ में राज्यपाल ने दी आहुति भुज. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राणिमात्र के कल्याण के साधनस्वरूप यज्ञ को फिर से अपनाने की अपील करते हुए देशवासियों से प्रत्येक घर में फिर से यज्ञ की परंपरा शुरू करने का आग्रह किया।भुज के सुंदरमनगर क्षेत्र में पर्यावरण की शुद्धि, संतुलन, समस्त […]
भुज. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राणिमात्र के कल्याण के साधनस्वरूप यज्ञ को फिर से अपनाने की अपील करते हुए देशवासियों से प्रत्येक घर में फिर से यज्ञ की परंपरा शुरू करने का आग्रह किया।
भुज के सुंदरमनगर क्षेत्र में पर्यावरण की शुद्धि, संतुलन, समस्त जीवों के कल्याण और बारिश की शुभकामनाओं के साथ पर्यावरण शुद्धि तथा वृष्टि महायज्ञ का आयोजन किया गया है।
समस्त जीवकल्याण समिति तथा आर्य समाज की ओर से आयोजित सात दिवसीय पर्यावरण शुद्धि तथा वृष्टि महायज्ञ में राज्यपाल ने आहुति देकर इसका विधिवत शुभारंभ किया।
लोककल्याण की भावना से आहुति अर्पित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए हमें जीवनदायिनी तत्वों का दोहन रोककर उन्हें पोषण देना आज की आवश्यकता बन गई है। पर्यावरण के पंचदेवताओं को प्रसन्न करने का एकमात्र साधन यज्ञ है।
राज्यपाल ने कहा कि यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्राण है। यज्ञ को केवल धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक कर्म के रूप में समझना चाहिए। वेदों में यज्ञ को संसार का सबसे श्रेष्ठ कर्म माना गया है। यह पवित्र है, पुण्यदायक है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने पर्यावरण रक्षा और वृष्टि महायज्ञ के लिए 2.51 लाख रुपए के दान की घोषणा करते हुए जनहित में आयोजित इस समग्र कार्यक्रम को सराहनीय बताया। उन्होंने किसानों से गौ आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाने की अपील की।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गांधीधाम में बुधवार को जगतसिंह जाडेजा एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से निर्मित एवं संचालित कॉलेज का उद्घाटन किया। राज्यपाल ने गुजरात के समग्र विकास विशेषकर कच्छ जिले के परिवर्तन की सराहना करते हुए कहा कि 2001 के विनाशकारी भूकंप के बाद आज कच्छ जिला विकास का आदर्श मॉडल बन चुका है। उन्होंने कहा कि कच्छ जिले को शिक्षा के क्षेत्र में भी अन्य जिलों के समकक्ष प्रतिस्पर्धा करनी होगी। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों को धन-संपत्ति की तुलना में शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए आधुनिक युग की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षित करें। साथ ही उनमें उच्च संस्कारों का भी सिंचन करें। उन्होंने नशा-मुक्ति के महत्व को भी रेखांकित किया।
राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त की कि गुजरात में आज 9 लाख से अधिक किसान प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं।