Rajasthan Tourism: पुष्कर के आसपास खूबसूरत अरावली पहाड़ियों पर बसे ये 10 स्थान सैलानियों को अद्वितीय अनुभव कराते हैं। ये अध्यात्म और ऐतिहासिक समृद्धि से भरपूर हैं।
Rajasthan Tourism: अजमेर और पुष्कर राजस्थान टूरिज्म के लिए किसी हीरे से कम नहीं हैं। प्रचीन मंदिरों से लेकर मन मोह लेने वाली झीलों तक, यात्रियों को सुखद अनुभव कराते हैं। यहां हम अजमेर और पुष्कर के आसपास की उन 10 जगहों के बारे में बता रहे हैं, जो सभी ट्रेवलर के लिए काम की है।
अजमेर की सबसे खास जगहों में से एक, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह। यहां हर धर्म और समाज के लोग दुआ मांगने आते हैं। अजमेर शरीफ दरगाह में मुगल और राजपूती शैली दोनों की छाप दिखाई पड़ती है। अजमेर की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक आप इस दरगाह की शांति और पवित्रता का अनुभव नहीं कर लेते।
आना सागर झील एक खूबसूरत कृत्रिम झील है। यहां शांत वातावरण के साथ आकर्षक नजारे देखने को मिलते हैं। यहां आप झील किनारे टहलते हुए शाम बिता सकते हैं या बोटिंग का आनंद भी ले सकते हैं। इसके नजदीक दौलत बाग जैसी जगहें इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं।
अजमेर में स्थित, सिर्फ ढाई दिन में बनी ये दरगाह इतिहास के किसी चमत्कार से कम नहीं। यह बारीक नक्कशी से सुसज्जित- हिंदू, जैन और इस्लामी वास्तुकला का मिश्रण प्रदर्शित करता है। लगभग 800 साल पुराने संस्कृत कॉलेज और मंदिर के अवशेषों पर इसे कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनावाया गया था। इसका ऐतिहासिक परिचय इसे देखने लायक बनाता है।
यह पवित्र झील हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। मान्यता है कि यहां पवित्र जल में स्नान और श्राद्ध कर्म करने से मोक्ष मिलता है। इस झील के 52 घाटों के आसपास कई मंदिर हैं। शाम के समय घंटियों के बजने से एक विशेष आध्यात्मिक वातावरण बन जाता है। यह एक शांत और सुंदर स्थान है जो अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित है।
भगवान ब्रह्मा को समर्पित दुनिया का पहला मंदिर पुष्कर झील के किनारे स्थित है। पद्म पुराण के अनुसार यह मंदिर उन तीन स्थानों में से एक है जहां कमल का फूल गिरा था। इससे पुष्कर झील का निर्माण हुआ और ब्रह्मा जी ने यहीं यज्ञ किया था। मंदिर में 70 फुट ऊंचा गोपुरम (टावर) है जिसमें हंस का ध्वज लगा है।
यह दुनिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक है। ऊंट की दौड़ के साथ मटका फोड़, सबसे लंबी मूंछ जैसी प्रतियोगिताएं इस मेले के मुख्य आकर्षण हैं, जो हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। यहां संगीत और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद भी ले सकते हैं।
एशिया के सबसे पुराने पहाड़ी किलों में से एक माना जाने वाला यह किला अरावली पहाड़ियों पर स्थित है। यहां विभिन्न सुरंगों का जाल पर्यटकों को आकर्षित करता है। किले से शहर के शानदार दृश्य दिखाई देते हैं।
भगवान ब्रह्मा की पत्नी देवी सावित्री को समर्पित यह मंदिर राजस्थान के पुष्कर में रत्नागिरी पहाड़ी पर स्थित है। एक रोमांचक ट्रेक का अनुभव करते हुए 970 सीढ़ियां चढ़ कर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। यह स्थान प्रकृति की सुंदरता और आध्यात्मिकता का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करता है।
यह राजस्थान का एकमात्र ऐसा किला है जो पूरी तरह से मुगल शैली में बना है। किले के अंदर स्थित संग्रहालय में सदियों पुरानी मूर्तियां, शिलालेख, हथियार, शाही फरमान, और सिक्के प्रदर्शित किए गए हैं। हथियार गैलरी में मुगल और राजपूत काल के हथियार, कवच और युद्ध सामग्री शामिल हैं।
यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार वराह को समर्पित है। मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी और संगमरमर पर तराशी भगवान वराह की विशाल मूर्ति पर्यटकों को मोह लेने वाली है। मंदिर प्रांगण के बाग में लगे फूलों की खुशबू सांसों में घुल जाती है।