प्रथम विश्व युद्ध में तत्कालीन राजा मदनसिंह जीतकर किशनगढ़ लौटे। इसी दिन से जीत की खुशी में ऐतिहासिक प्राचीन बालाजी का मेला भरने का सिलसिला शुरू हो गया।
मदनगंज-किशनगढ़। प्रथम विश्व युद्ध में तत्कालीन राजा मदनसिंह जीतकर किशनगढ़ लौटे। उन्होंने किशनगढ़ लौटकर प्राचीन बालाजी के मंदिर में धोक लगाई। इसी दिन से जीत की खुशी में ऐतिहासिक प्राचीन बालाजी का मेला भरने का सिलसिला शुरू हो गया। तब से वर्तमान समय तक हर वर्ष यह मेला भरा जाता है।
मुख्य बाजार स्थित प्राचीन बालाजी मंदिर के वार्षिक मेले का आयोजन 5 सितम्बर को होगा। मेले की पूर्व संध्या पर मंदिर परिसर को फूलों और लाइट डेकोरेशन से सजाया गया। साथ ही सुंदरकांड के पाठ होंगे। इस मौके पर बालाजी का नयनाभिराम और आकर्षक शृंगार भी होता है। इस दिन शांति व कानून व्यवस्था के लिए किशनगढ़ वृत थाना पुलिस भी विशेष रूप से चौकसी बरतती है।
किशनगढ़ समेत आस-पास के 210 गांवों एवं शहरी क्षेत्र के लोग मेले में शामिल होते हैं और बालाजी महाराज के प्रसाद चढ़ाकर एवं दर्शन कर आशीर्वाद लेंगे। प्राचीन बालाजी मंदिर के महंत बनवारीलाल बृजेश कुमार अग्रावत ने बताया कि 5 सितम्बर को सुबह सवा 5 बजे महाआरती होगी और फिर दिनभर श्रद्धालु बालाजी के दर्शन करेंगे। वार्षिक मेले की महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक लहरिए की रस्म शाम साढ़े 5 बजे होगी और यह रस्म उपखंड अधिकारी निभाएंगे।
महंत बनवारीलाल बृजेश कुमार अग्रावत ने बताया कि प्रथम विश्व युद्ध में तत्कालीन राजा मदनसिंह जीत कर किशनगढ़ लौटे और इसी खुशी में प्राचीन बालाजी का मेला भरने लगा। तब से हर वर्ष यह मेला भरा जाता है। उनकी यह 8वीं पीढ़ी बालाजी की पूजा-अर्चना कर रही है। इस बार मेले में तकरीबन 20 से 25 हजार श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद की जा रही है।