Bakrid 2025 Eid al-Adha: राजस्थान के अजमेर में स्थित रामगंज बकरा मंडी में इस समय जमकर भीड़ हो रही है। बकरीद में कुर्बानी देने के लिए लोग अच्छी नस्ल के बकरे खोज रहे हैं। अजमेर की इस मंडी में सबसे अधिक 'सिरोही नस्ल' के बकरे की चर्चा हो रही है।
Bakrid 2025 Eid al-Adha:अजमेर। ईद-अल-अजहा के नजदीक आते ही राजस्थान के अजमेर की रामगंज स्थित बकरा मंडी में भारी चहल-पहल देखने को मिल रही है। यहां बकरों की कीमतें 15 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक पहुंच गई हैं। कुछ बकरे तो इतने महंगे बिक रहे हैं कि उन्होंने महंगे स्मार्टफोन की कीमतों को भी पीछे छोड़ दिया है।
इस समय मंडी में सबसे ज्यादा चर्चा 'सिरोही नस्ल' के बकरों की हो रही है, जिन्हें स्थानीय स्तर पर 'अजमेरा नस्ल' भी कहा जाता है। यह नस्ल अपने शानदार शरीर, आकर्षक रंग और राजसी लुक के लिए जानी जाती है। यही वजह है कि देश के कोने-कोने से खरीदार और व्यापारी यहां पहुंच रहे हैं।
बकरी बाजार में बकरे बेचने वाले व्यापारियों ने बताया कि मंडी में विभिन्न नस्लों के बकरे आए हैं। ज्यादातर व्यापारी सिरोही, नागौर और हरियाणा जैसे स्थानों से आते हैं, जबकि खरीदार दिल्ली, सूरत और मुंबई सहित विभिन्न राज्यों से भी बकरीद में कुर्बानी के लिए जानवरों को खरीदने आते हैं।
मंडी में आए एक व्यापारी रमीज ने बताया, 'यह अजमेरा नस्ल का बकरा दो लाख रुपये में है। इस मंडी में आज इसके जैसा दूसरा कोई बकरा नहीं है।' इस तरह के खास बकरों की देखभाल भी उतनी ही खास होती है। इन्हें काजू, बादाम, फल और अन्य महंगे खाद्य पदार्थ खिलाए जाते हैं। इन पर रोजाना 300 से 500 रुपये तक का खर्च आता है।
मंडी के उपाध्यक्ष इकबाल अहमद ने बताया कि यह बाजार खास तौर पर इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि यह ख्वाजा गरीब नवाज़ की नगरी अजमेर में स्थित है। रामगंज हाइवे पर बसी यह मंडी जैसे-जैसे बकरीद नजदीक आ रही है, खरीदारों और दुकानदारों से खचाखच भर रही है। विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में कुर्बानी के लिए बकरे खरीदने आ रहे हैं।
भारत में इस साल ईद-अल-अजहा (बकरीद) 7 जून को मनाई जाएगी। इसे इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने 'जुल हिज्जा' की 10वीं तारीख को मनाया जाता है। यह इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है और रमजान के बाद आता है। यह त्योहार पैगंबर इब्राहिम की अल्लाह के प्रति कुर्बानी की भावना की याद में मनाया जाता है।