Ajmer Forest Division : अजमेर वन मंडल में सालाना वन्य जीव गणना 12 मई से होगी। वन्य जीव की गणना के लिए वनकर्मी विभिन्न क्षेत्रों में मचान बांधकर वन्य जीव की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। साथ ही और अहम कार्य करते हैं, जानें।
Ajmer Forest Division : वन विभाग ने सालाना वन्य जीव गणना की तैयारियां शुरू कर दी है। वैशाख पूर्णिमा यानि 12 मई को अजमेर वन मंडल के विभिन्न वन क्षेत्रों में गणना की जाएगी। इसके लिए वाटर हॉल पर वनकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। वन विभाग प्रतिवर्ष अजमेर, किशनगढ़, टॉडगढ़, जवाजा ब्यावर, शोकलिया, पुष्कर और अन्य क्षेत्रों में वन्य जीव की गणना करता है। इनमें पैंथर, सियार, लोमड़ी, साही, हिरण, खरगोश, अजगर, बारहसिंगा और अन्य वन्य जीव शामिल होते हैं। वन्य जीव की गणना के लिए वनकर्मी विभिन्न क्षेत्रों में मचान बांधकर वन्य जीव की गतिविधियों पर नजर रखते हैं।
गणना के लिए अधिकारियों और वनकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। अजमेर जिले के अजयपाल बाबा मंदिर, गौरी कुंड, चौरसियावास तालाब, आनासागर, फायसागर, चश्मा ए नूर, नरवर, मदार, हाथीखेड़ा, नसीराबाद, किशनगढ़ में गूंदोलाव झील, ब्यावर में सेलीबेरी, पुष्कर में गौमुख पहाड़, बैजनाथ मंदिर, नसीराबाद में सिंगावल माताजी का स्थान, सरवाड़ में अरवड़, अरनिया-जालिया के बीच और अन्य वाटर हॉल पर गणना होगी।
वनकर्मी गणना के दौरान फोटो खींचेंगे। इसके अलावा पगमार्क भी लेंगे। इसे जिले में कितने वन्य जीव हैं इसकी वास्तविक स्थिति रिपोर्ट में सामने आएगी। यह रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाएगी।
अधिकृत सूत्रों के मुताबिक जिले में पैंथर, बघेरे, लोमड़ी, सियार, हिरण कम हो रहे हैं। इसके विपरीत प्रतिवर्ष गणना में खरगोश, जल मुर्गी, बुलबुल, बतख, नीलकंठ, बिज्जू, नेवले, साही, मोर, नीलगाय और अन्य वन्य जीव ही ज्यादा दिखाई देते हैं। 10-15 साल में सियार की संख्या घटकर कर 25-30 तक रह गई है।
शोकलिया, अरवड़ और वन्य क्षेत्र से गोडावण नदारद हो चुके हैं। 2001 की गणना में यहां 33 गोडावण थे। 2002 में 52, 2004 में 32 गोडावण मिले। बाद में सिलसिला घटता चला गया। बीते 10 साल में यहां गोडावण नहीं मिले हैं।