अजमेर

अलर्ट: फल-सब्जियों के पेस्टीसाइड दे रहे अस्थमा, डायबिटीज और कैंसर, टमाटर, गोभी, भिंडी में सबसे ज्यादा खतरा

जांच रिपोर्ट के मुताबिक भिंडी, टमाटर, मिर्च, गोभी, आम, पपीता, केले में पेस्टीसाइड/ केमिकल का सर्वाधिक उपयोग होता है। कई लोग बिना धोए इन्हें खाते हैं, जिससे वे कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।

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Feb 10, 2025

चन्द्र प्रकाश जोशी

फल एवं सब्जियां स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं, लेकिन इनके ऊपर पाए जाने वाले पेस्टीसाइड और केमिकल बीपी, अस्थमा, डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियां दे रहे हैं। राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र तबीजी अजमेर की जैविक नियंत्रण प्रयोगशाला ने जांच में इसकी पुष्टि की है।

जांच रिपोर्ट के मुताबिक भिंडी, टमाटर, मिर्च, गोभी, आम, पपीता, केले में पेस्टीसाइड/ केमिकल का सर्वाधिक उपयोग होता है। कई लोग बिना धोए इन्हें खाते हैं, जिससे वे कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यह समस्या भारत ही नहीं दुनियाभर में बढ़ रहा है। हर साल इसके कारण 3 लाख लोगों की मौत हो रही है।

किसानों की ओर से फल-सब्जियों को कीट व रोग से बचाने के लिए पेस्टीसाइड का असंतुलित इस्तेमाल किया जा रहा है। फल-सब्जियों को जब बिना धोए-उपचारित उपयोग किया जाता है तो पेस्टीसाइड/ केमिकल पेट में पहुंचकर हमारे मेटाबोलिक सिस्टम को बिगाड़ देते हैं। इससे भोजन को पचाने वाले रस असंतुलित हो जाते हैं। भोजन के फाइबर, विटामिन और खनिज काफी हद तक नष्ट हो जाते हैं।

कैसे करें समाधान

जैविक नियंत्रण प्रयोगशाला के प्रभारी डॉ. लक्ष्मीकांत ने बताया कि फल-सब्जी में सबसे अधिक पेस्टीसाइड चिह्नित हुआ है। आप घर पर एक लीटर पानी में 10 ग्राम नमक या मीठा सोडा मिलाकर करीब 3 घंटे तक सब्जियां व फल डाल कर रखें, इससे पेस्टीसाइड व कीटनाशक का इफेक्ट खत्म हो जाएगा।

इन बीमारियों का खतरा ज्यादा

पेस्टीसाइड्स से पार्किंसंस और अल्जाइमर रोग लगातार बढ़ रहे

ऑक्सीडेटिव तनाव की समस्या और डीएनए को भी क्षति हो रही

अस्थमा, ऑटिज्म व युवाओं में प्रजनन संबंधी समस्याएं

छोटे बच्चों में डॉयबिटीज व कैंसर का खतरा बढ़ रहा

फैटी लिवर, हेपेटाइटिस, त्वचा में एलर्जी और पीलापन की समस्या

हम सब्जी को साफ नहीं करते, धोकर काम में नहीं लेते तो पेस्टीसाइड का असर बना रहता है। इससे पेट दर्द, बुखार, लीवर की बीमारियां, आदि होने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ.एम.पी.शर्मा, गेस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, जेएलएन कॉलेज, अजमेर

Published on:
10 Feb 2025 08:58 am
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