केकड़ी जिला क्षेत्रवासियों के लिए सौगात बना था। जिला बनने के बाद यहां कलक्टर और एसपी के दफ्तर खुले, लेकिन सरकार के एक फैसले ने बड़ा झटका दिया।
जिला बनने के 21 महीने बाद भजनलाल सरकार ने केकड़ी का जिले का अधिकार निरस्त कर दिया। इससे केकड़ी क्षेत्र के लोगों को मायूसी हाथ लगी। क्षेत्रवासियों के लिए केकड़ी जिला सौगात बना था। केकड़ी जिला बनने के बाद यहां कलक्टर और एसपी के दफ्तर खुले। आमजन को अपने छोटे-छोटे काम के लिए 80 किमी दूर अजमेर जाने की समस्या से छुटकारा मिला। टोंक जिले से सटे केकड़ी के कई ऐसे गांव हैं जिनकी दूरी अजमेर से 120 किमी है। उनका जिला मुख्यालय पहले अजमेर पड़ता था। जिला बनन के बाद गांव-गांव में राहत कैंप लगे। इनमें कलक्टर ने पहुंचकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनी।
जिले बनने के बाद क्षेत्र में पुलिसिंग बेहतर हुई। यहां एसपी के बैठने से अपराधों पर लगाम लगी और त्वरित कार्रवाई हो सकी। मूलभूत सुविधाओँ में सुधार हुआ। जिला बनने से पहले यहां जिला चिकित्सालय संचालित है, जिसकी बेहतर ढंग से मॉनिटरिंग हो सकी। इसके चलते क्षेत्र के सैंकड़ों गांवों के लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से लाभान्वित हुए, लेकिन सरकार के एक फैसले ने क्षेत्रवासियों को बड़ा झटका दिया।
केकड़ी जिले को निरस्त करने की खबर के साथ ही क्षेत्रवासियों में रोष नजर आया। फैसले के विरोध में एक स्थानीय ने चौराहे पर सिर मुंडवाने का निर्णय किया। हालांकि इस बीच प्रशासन को इसकी भनक लगी तो फौरन मौके पर पहुंचे और समझाइश कर उन्हें ऐसा करने से रोका।
केकड़ी जिले के रद्द होने का विरोध जता रहे स्थानीय ने कहा कि केकड़ी को जिला बनाने और यथावत रखने के लिए आंदोलन किया गया, लेकिन एक झटके में सरकार ने केकड़ी जिले को निरस्त कर दिया है। इससे केकड़ी क्षेत्र के लोगों में निराशा है। स्थानीय लोगों ने कहा कि सरकार को इस फैसले पर पुर्नविचार करना चाहिए।