ERCP: अजमेर जिले में वेंटीलेटर पर पहुंचे बांधों-तालाबों के लिए पीकेसी-ईआरसीपी योजना जीवनदायिनी साबित हो सकती है। जिले के जलाशयों को योजना से जोड़ने और अतिक्रमण हटाने से इनमें पानी की पर्याप्त आवक होगी।
ERCP: अजमेर जिले में वेंटीलेटर पर पहुंचे बांधों-तालाबों के लिए पीकेसी-ईआरसीपी योजना जीवनदायिनी साबित हो सकती है। जिले के जलाशयों को योजना से जोड़ने और अतिक्रमण हटाने से इनमें पानी की पर्याप्त आवक होगी। साथ ही बांधों-तालाबों के आसपास के प्राकृतिक जलस्त्रोत कुओं, जोहड़, नलकूप का भूजल स्तर भी बढे़गा।
अतिक्रमण, अवैध कब्जों और बेतरतीब बने एनिकट से जिले के विभिन्न बांध और तालाब संकट में हैं। इनमें बीर, फूलसागर कायड़, नारायण सागर, शिवसागर न्यारा, पारा, ऊंटड़ा, घूघरा, मकरेड़ा और अन्य तालाब शामिल हैं। यह जलाशय पिछले 15 से 30 साल की अवधि में लबालब नहीं हो सके हैं।
पीकेसी-ईआरसीपी योजना से चबल-कालीसिंध, यमुना का पानी हरियाणा-मध्यप्रदेश से राज्य में लाया जाना है। इसमें अजमेर सहित राज्य के 20 जिले शामिल हैं। करीब 45 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट की संयुक्त डीपीआर बननी है। इसके बाद ही 21 जिलों को पेयजल और कृषि भूमि के लिए पानी मिल सकेगा।
रामसर ,मकरेड़ा , अजगरा , ताज सरोवर अरनिया , मदन सरोवर धानवा , पारा, नारायण सागर खारी , देह सागर बडली , न्यू बरोल, मान सागर जोताया, भीम सागर तिहारी, खानपुरा तालाब, चौरसियावास, खीरसमंद रामसर, लाकोलाव टैंक हनौतिया, पुराना तालाब बलाड़ , जवाजा तालाब, काली शंकर तालाब , देलवाड़ा तालाब, छोटा तालाब चाट, मदन सागर डीडवाडा और अन्य (ईआरसीपी योजना के तहत)।