अजमेर

हिमालय के पहाड़ों से राजस्थान आया विशालकाय दुर्लभ गिद्ध, वन विभाग की टीम ने किया रेस्क्यू

राजस्थान के अजमेर जिले में एक विशालकाय हिमालयी गिद्ध का वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू किया है। यह गिद्ध हिमालयी क्षेत्र से अजमेर जिले में पहुंच गया था, जिसका वजन करीब 9 किलो बताया जा रहा है। इसके पंख करीब 7 फीट चौड़े हैं।

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Dec 02, 2025
रेस्क्यू किया गया हिमालयी गिद्ध (फोटो-सोशल मीडिया)

अजमेर। जिले के पीसांगन क्षेत्र में एक दुर्लभ विशालकाय हिमालयी गिद्ध मिला है। वन विभाग की टीम ने करीब 10 दिन बाद सफलतापूर्वक गिद्ध का रेस्क्यू किया। यह विशालकाय गिद्ध हजारों किलोमीटर दूर हिमालयी क्षेत्र से भटककर यहां पहुंचा था। पीसांगन निवासी समाजसेवी मनोज सेन और सुरेंद्र कुमार सेन ने इस भटकते गिद्ध को मकान की छत पर बैठा देखकर वन विभाग से संपर्क किया। सूचना मिलने पर उपवन संरक्षक अजमेर ने एक टीम का गठन किया, जिसके बाद गिद्ध का सफल रेस्क्यू किया गया।

रेस्क्यू टीम में शामिल एक वन अधिकारी ने बताया कि पीसांगन क्षेत्र से पकड़े गए इस विशालकाय गिद्ध को जयपुर मुख्यालय भेजा जाएगा, जहां वरिष्ठ अधिकारी यह तय करेंगे कि उसे उसके मूल निवास स्थान पर कैसे वापस भेजा जाए। रेस्क्यू टीम में पुष्कर से रेंजर मानसिंह राठौड़, कोबरा टीम राजस्थान के संस्थापक सुखदेव भट्ट, पीसांगन क्षेत्र से सर्प मित्र हर्षित जागृत और मनीष कुमावत आदि लोग शामिल रहे।

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मरे हुए जानवरों का मांस खाते हैं हिमालयी गिद्ध

वन्य जीव विशेषज्ञों के मुताबिक, हिमालयी गिद्ध मरे हुए जानवरों का मांस खाते हैं, आमतौर पर गिद्ध शिकार नहीं करते। इनके शरीर में ऐसे केमिकल मौजूद होते हैं, जो सड़े हुए मांस को भी पचाने में इन्हें सक्षम बनाते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, हिमालयी गिद्ध बीमार और बूढ़े जानवरों के पास बैठकर कई दिनों तक उनके मरने का इंतजार करते हैं।

एशिया के सबसे बड़े गिद्धों में शामिल

हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध (Gyps himalayensis) हिमालय क्षेत्र में पाया जाने वाला एक विशालकाय पक्षी है। यह एशिया के सबसे बड़े गिद्धों में से एक है। यह अपनी भारी शारीरिक बनावट, शक्तिशाली चोंच और बड़े पंखों के लिए जाना जाता है। इनका वजन 12 किलोग्राम तक हो सकता है, शरीर की लंबाई 95 से 130 सेमी और पंखों का फैलाव 270 से 300 सेमी तक होता है। वयस्क गिद्धों के शरीर का रंग आमतौर पर धीरे-धीरे सफेद से गहरे भूरे रंग में बदल जाता है, जबकि सिर का रंग सफेद ही रहता है।

गिद्धों को बचाने के लिए सरकार कर रही प्रयास

यह प्रजाति तिब्बती पठार के पहाड़ी इलाकों में निवास करती है। आमतौर पर यह 600 से 4,500 मीटर की ऊंचाई पर होते हैं लेकिन कई बार 5,000 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई पर भी देखे गए हैं। भारत सरकार गिद्धों की घटती आबादी को रोकने के लिए भी प्रयासरत है। इसके लिए सरकार 'गिद्ध संरक्षण कार्य योजना 2020-2025' भी बना चुकी है।

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Updated on:
02 Dec 2025 07:57 pm
Published on:
02 Dec 2025 07:17 pm
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