आनासागर झील की दुर्दशा को लेकर जिला प्रशासन सहित नगर निगम गंभीर नहीं है। राजस्थान हाइकोर्ट के आदेशों के बावजूद झील में लगातार गंदा पानी पहुंच रहा है।
अजमेर। आनासागर झील की दुर्दशा को लेकर जिला प्रशासन सहित नगर निगम गंभीर नहीं है। राजस्थान हाइकोर्ट के आदेशों के बावजूद झील में लगातार गंदा पानी पहुंच रहा है। एनजीटी ने नगर निगम पर 13 करोड़ 70 लाख 75 हजार रुपए का जुर्माना किया है।
लाखों-करोड़ों खर्च करने के बावजूद झील का पानी गंदा और बदबूदार है। तमाम प्रयासों के बावजूद सरकारी मशीनरी आनासागर के पानी को प्रदूषित होने से नहीं रोक पा रही। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से नालों का गंदा पानी झील में जा रहा है। रही सही कसर झील के आवक क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण ने पूरी कर दी है। झील में गंदे पानी की आवक रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए हैं लेकिन यह पूरी तरह कारगर नहीं हैं।
काजी का नाला, क्रिश्चियन गंज, शांतिपुरा, आंतेड़, चाचियावास, बांडी नदी, रामनगर- महावीर कॉलोनी, नागफणी का नाला और अन्य। इनमें सालभर गंदगी बहती रहती है।
आनासागर में गिरते 13 नालों को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता बाबूलाल साहू ने एनजीटी में याचिका लगाई। इसे गंभीर मानते हुए एनजीटी ने नगर निगम पर 13 करोड़ 70 लाख 75 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। यह राशि डिमांड ड्राफ्ट के रूप में जमा करानी होगी। दो माह में राशि जमा नहीं कराने पर प्रतिमाह 1.5 प्रतिशत के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा।
साहू ने मार्च 2023 में आनासागर की गंदगी को लेकर एनजीटी के अध्यक्ष को शिकायत प्रस्तुत की थी। इस पर एनजीटी भोपाल बेंच ने निगम को जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। निगम ने रिपोर्ट में बताया कि आनासागर में गंदगी युक्त नाले नहीं गिर रहे हैं।
एनजीटी के निर्देश पर बीती 30 जुलाई को राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नेतृत्व में गठित टीम ने सभी नालों का सर्वेक्षण किया। इन नालों से गंदगी झील में जाती नजर आई।