एनएचएआई ने आपातकालीन सेवा के लिए लगाए थे यह बॉक्स, देखभाल के अभाव में बीते दो तीन साल में हो गए नाकारा
यदि आप अजमेर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सफर कर रहे हैं तो अपना वाहन और मोबाइल फोन को दुरुस्त रखें। यात्रा के दौरान कहीं कोई दिक्कत आई तो इस नेशनल हाइवे पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से तुरंत कोई मदद मिल सकेगी इसकी उम्मीद कम ही है, क्योंकि इस नेशनल हाइवे पर सड़क के दोनों तरफ लगाए गए लगभग सभी एसओएस बीट बॉक्स खराब पड़े हैं।
इनमें से अधिकांश के तार आदि कट चुके हैं तो कहीं टूटे पड़े हैं। यहीं नहीं कहीं तो यह चाय की स्टॉल पर बैठने के लिए काम भी आ रहे हैं। कुछेक जगह ही यह बॉक्स लगे हुए हैं और सिर्फ दिखावे के लिए पोल पर डिब्बा लगा है। इनकी मरम्मत या बदलने की ना तो एनएचएआई ने सुध ली और ना ही टोल प्लाजा की ठेका कम्पनियां इसमें रुचि दिखा रही हैं।
अजमेर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग की सभी लेन पर एनएचएआई की ओर से एसओएस बीट बॉक्स (इमरजेंसी कॉल बॉक्स) लगाए गए। जानकारों ने बताया कि पूरे राष्ट्रीय राजमार्ग पर हर 3 किलोमीटर पर इस बॉक्स की सुविधा दी गई, ताकि इसकी मदद से गाड़ी खराब होने, दुर्घटना होने और लम्बा जाम आदि लगने, रात में हाइवे पर रोशनी नहीं होने समेत पेट्रोलिंग करने, फायरबिग्रेड व पुलिस को बुलाने, क्रेन या एम्बुलेेंस वाहन बुलाने समेत अन्य किसी भी जरूरत पडऩे आदि के लिए सूचना नजदीकी टोल प्लाजा तक पहुंचाई जा सके। वहीं बीते दो तीन साल से यह सभी बॉक्स लगभग खराब हो चुके हैं। जो अभी भी लगे हुए हैं वह किसी काम के नहीं हैं।
इन एसएसओ बीट बॉक्स के संचालन के लिए इनके ऊपर सोलर पैनल भी लगाया गया। सार-संभाल के अभाव में यह सोलर पैनल भी खराब हो चुके हैं। वर्तमान में यह बॉक्स महज दिखावटी रह गए हैं। इनकी वायरिंग कट चुकी है, माइक और स्पीकर गायब हैं तो किसी में ढक्कन ही नहीं रहे। ऐसे में यदि कोई राहगीर या वाहन चालक किसी मुसीबत में फंस जाए तो वह मदद मांगने के लिए इन बॉक्सों का इस्तेमाल नहीं कर सकता।
अजमेर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर राहगीर या वाहन चालक की मदद के लिए यह एसओएस बीट बॉक्स लगाए गए। जरूरत पडऩे पर व्यक्ति को इस बॉक्स पर लगे बटन को दबाना पड़ता और जयपुर में संचालित कंट्रोल रूप से बटन दबाने वाले व्यक्ति से तत्काल बात की जाती। स्पीकर और माइक के माध्यम से ही कंट्रोल रूम व हाइवे पर इस बॉक्स के माध्यम से व्यक्ति के बीच बात होती। इसके बाद व्यक्ति की मदद या जरूरत के अनुरूप सहायता के लिए सबसे नजदीक टोल प्लाजा पर इसकी सूचना दी जाती। इसके बाद टोल प्लाजा के माध्यम से उस व्यक्ति तक सहायता पहुंचाने की व्यवस्था की जाती।