राजस्थान के अजमेर में रेलवे ट्रेक पार करने के दौरान दो बहनों की दर्दनाक मौत हो गई।
अजमेर। रामगंज, सुन्दर नगर के पास रेल की पटरियां पैदल पार कर रही दो बहन पैसेन्जर ट्रेन की चपेट में आ गई। छोटी बहन ने जहां घटनास्थल पर दम तोड़ दिया वहीं बड़ी बहन की जेएलएन अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने मृग कार्रवाई कर छोटी बहन का शव परिजन के सुपुर्द कर दिया। दूसरी बहन के शव का शनिवार को पोस्टमार्टम हुआ।
हैडकांस्टेबल प्रेमकुमार ने बताया कि सुभाष नगर, सुन्दर नगर के निकट रेलवे ट्रेक पार करने के दौरान चन्दवरदाई नगर सी-8 निवासी कौशल्यादेवी(61) पत्नी टीकमचन्द दायमा और मलूसर शांतिनगर निवासी माया देवी (58) पत्नी मदनलाल जोधपुर-इंदौर एक्सप्रेस की चपेट में आ गई।
लोको पायलट ने दौराई स्टेशन पर घटना की इत्तला दी। सूचना पर रामगंज थाने से हैडकांस्टेबल विजेन्द्र सिंह, जीआरपी थानाप्रभारी फूलचंद बालोटिया मय जाप्ता पहुंचे। हादसे की सूचना पर बड़ी संख्या में आसपास के लोग जुट गए। यहां जुटी भीड़ में मृतका कौशल्यादेवी का भतीजा भी था।
उसने अपनी बुआ को लहूलुहान हालात में देखकर अपने रिश्तेदार व परिजन को सूचना दी। कुछ मिनट में परिवार के सदस्य पहुंचे। परिजन ने कौशल्या के शरीर में हलचल देखी तो वह उसको लेकर जेएलएन अस्पताल पहुंचे। जहां चिकित्सकों ने सीपीआर और वेंटीलेटर पर लेकर जान बचाने का प्रयास किया।
हालांकि उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया। रामगंज थाना पुलिस ने कौशल्या देवी के बेटे दीपक की रिपोर्ट पर प्रकरण दर्जकर लिया। पुलिस ने माया देवी का शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजन के सुपुर्द कर दिया जबकि कौशल्यादेवी के शव को मोर्चरी में रखवाया है। पुलिस शनिवार सुबह पोस्टमार्टम करवाएगी।
पत्रिका पड़ताल में सामने आया कि दोनों बहनों को ऑटो रिक्शा में मायादेवी का पति मदन खानपुरा में रिश्तेदार के यहां छोड़कर आया था। दोनों बहनें परिवार में बच्चों के रिश्ते की बात करने के लिए गईं थी। मदन ने उनको काम खत्म होने पर कॉल कर बुलाने के लिए कहा था लेकिन दोनों पैदल ही रेलवे लाइन क्रॉस कर लौट रही थीं। पगडंडी से पटरी पार करने के दौरान गफलत में ट्रेन की चपेट में आ गईं।
मायादेवी के पति मदनलाल का रो-रोकर बुला हाल है। अस्पताल में विलाप के दौरान मदन ने बताया कि वह जब पत्नी मायादेवी को छोड़ने गया तो रामगंज थाने के सामने पत्नी ने गन्ने का रस पीने के लिए कहा तो उसने इनकार कर दिया। इस पर मायादेवी ने कहा कि ‘पी लो.. क्या पता साथ में आखिरी हो। उसे दुख है कि काश..वह उसे लेने चला जाता तो उसके साथ हादसा नहीं होता।
हादसे की सूचना मिलते ही जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में दोनों परिवार के सदस्य व रिश्तेदारों का जमावड़ा लग गया। जहां कौशल्यादेवी के पांच बच्चे रेणू, सन्नी, गुड्डी, ज्योति और दीपक है। वहीं मायादेवी के तीन पुत्र अमित, पवन, ओमप्रकाश थे।