रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघ के हमले से मारे गए रेंजर की घटना ने जंगल में दहशत फैला दी है। इसका असर सरिस्का टाइगर रिजर्व में तैनात वन कर्मियों तक भी आया है।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघ के हमले से मारे गए रेंजर की घटना ने जंगल में दहशत फैला दी है। इसका असर सरिस्का टाइगर रिजर्व में तैनात वन कर्मियों तक भी आया है। इसी को लेकर अलर्ट किया गया है कि पेट्रोलिंग के दौरान बेहद सावधानी बरतें। गर्मी में बाघों का स्वभाव बदल रहा है। वह झाड़ियों में आराम करते हैं। ऐसे में उनके नजदीक न पहुंचे। अन्यथा वह अपने बचाव में हमला कर सकते हैं।
रणथंभौर में कुछ दिन पहले सात साल की बच्ची को भी बाघ ने मारा डाला था। अब रविवार को रेंजर पर भी हमला करके मार डाला। इससे वहां के जंगल में जाने वाले पर्यटक भी दहशत में हैं। साथ ही वन्यजीवों की सुरक्षा में तैनात वनकर्मी भी। सरिस्का टाइगर रिजर्व भी बड़ा जंगल है। यहां वन्यजीवों की सुरक्षा में 170 से ज्यादा अधिकारी व वनकर्मी लगाए गए हैं।
पेट्रोलिंग लगातार बाघों की होती है। गाड़ी से नीचे भी वनकर्मियों को पगमार्क देखने के लिए उतरना पड़ता है। इसी में सावधानी बरने के लिए कहा गया है। गर्मी में बाघों की साइटिंग कम होती है। वह तालाब में मिलते हैं या फिर किसी घनी झाड़ी में। इससे वह दिखाई नहीं देते।
वनकर्मी पेट्रोलिंग के दौरान पगमार्क देखते हुए झाड़ी के नजदीक भी पहुंचते हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है। जिस एरिया में बाघिन के शावक हैं, वहां खतरा अधिक होता है। बाघिन उनकी सुरक्षा के लिए ज्यादा चौकन्नी रहती हैं। सरिस्का में करीब 18 शावक हैं। इन सभी की निगरानी टीम की ओर से की जाती है। इसके लिए पेट्रोलिंग की जाती है।
जंगल में पेट्रोलिंग के लिए वन कर्मियों को अलर्ट रहकर कार्य करने के लिए कहा है। वे कोशिश करें कि पेट्रोलिंग के दौरान बाघ या बाघिन के आसपास न पहुंचे। ऐसे में वन्यजीव अपने बचाव के लिए हमला कर सकते हैं। - संग्राम सिंह कटियार, क्षेत्र निदेशक, सरिस्का
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