अब अलवर में भी तारामंडल होगा। जमीन पर खड़े होकर लोग गृह-नक्षत्रों को देख सकेंगे। प्रदेश सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। इस पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है।
अब अलवर में भी तारामंडल होगा। जमीन पर खड़े होकर लोग गृह-नक्षत्रों को देख सकेंगे। प्रदेश सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। अब इस योजना को जमीन पर लाने का काम यूआईटी का होगा। इस पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है। यह तारामंडल कोलकाता की तर्ज पर तैयार होगा, जो एशिया में अपना स्थान रखेगा। कोलकाता का बिड़ला तारामंडल एशिया का सबसे बड़ा तारामंडल है और दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है।
वर्ष 2023-24 में यूआईटी के पूर्व सचिव अशोक कुमार योगी ने विज्ञान पार्क स्थापित करने के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया था। तारामंडल का डिजाइन भी तैयार करवाया गया। इस प्रोजेक्ट को यूआईटी की बैठक में रखा गया, तो इसे कुछ दिन होल्ड करवाया गया। उसके बाद अधिकारियों के तबादले हो गए और यह तारामंडल कागजों में ही चलता रहा। अब भाजपा सरकार ने तारामंडल को मंजूरी दे दी है।
यूआईटी को विज्ञान व प्रौद्योगिकी का मेल करते हुए तारामंडल तैयार करना है। इसके लिए जगह देखी जाएगी। बताते हैं कि पुराना सूचना केंद्र इसके लिए उपयुक्त जगह है, लेकिन नगर निगम इस जमीन को देना नहीं चाहता। पहले भी यूआईटी को यह नहीं दिया गया, जबकि यूआईटी ने कहा था कि तारामंडल तैयार करके इसका संचालन नगर निगम को ही दे दिया जाएगा।
नगर निगम शुल्क लागू करके आमदनी ले सकेगा, लेकिन बात नहीं बनी। अब यूआईटी को देखना है कि तारामंडल इसी जमीन पर बनेगा या फिर दूसरी जगह। यूआईटी के एक एक्सईएन का कहना है कि इसके लिए बजट मिलेगा, तो काम आगे बढ़ाया जाएगा।
पूरे देश में 48 तारामंडल हैं। पर्यटकों को आकर्षित करने का अलवर में यह नया केंद्र होगा। कोलकाता, मुंबई, नई दिल्ली, बंगलुरु, प्रयागराज आदि शहरों में तारामंडल हैं। एशिया का सबसे बड़ा बिड़ला तारामंडल कोलकाता एक मंजिला गोलाकार संरचना है, जिसे विशिष्ट भारतीय शैली में डिज़ाइन किया गया है, जिसकी वास्तुकला सांची के बौद्ध स्तूप की शैली से प्रेरित है।
तारामंडल में वह तारे और खगोलीय वस्तुएं होती हैं, जो पृथ्वी की सतह से देखने पर स्थाई रूप से आकाश में एक ही क्षेत्र में एकत्र नज़र आती हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि यह वास्तव में एक-दूसरे के पास हैं या इनका आपस में कोई महत्वपूर्ण गुरुत्वाकर्षण है।
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