धनतेरस के शुभ अवसर पर शनिवार को अलवर शहर के दिल्ली दरवाजा के पास स्थित रियासतकालीन चित्रगुप्त मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।
धनतेरस के शुभ अवसर पर शनिवार को अलवर शहर के दिल्ली दरवाजा के पास स्थित रियासतकालीन चित्रगुप्त मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। परंपरा के अनुसार इस दिन श्रद्धालु चित्रगुप्तजी को 13 पत्तल चढ़ाते हैं। पहली पत्तल चित्रगुप्तजी को अर्पित की जाती है और इसके बाद अन्य मंदिरों में चढ़ाई जाती है। मंदिर में दीपदान की भी परंपरा निभाई गई।
काले पत्थर से बनी चित्रगुप्त भगवान की प्रतिमा में एक हाथ में कलम और दूसरे में बहीखाता है। भक्त इस दिन काले वस्त्र, पैन, काली छतरी, टॉर्च, दाल, लड्डू, जलेबी और मालपुए चढ़ाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पुराणों के अनुसार चित्रगुप्तजी यमराज के निजी सचिव माने जाते हैं, जो मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। कायस्थ समाज के आराध्य देव चित्रगुप्तजी के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचे और कथा श्रवण किया। मंदिर में दिनभर धार्मिक माहौल बना रहा।