मणिपुर के इंफाल में ड्यूटी के दौरान 9 दिसंबर को सीआरपीएफ में हवलदार कर्मवीर यादव के निधन के बाद शुक्रवार को उनकी पार्थिव देह कोटपूतली–बहरोड़ में पैतृक गांव गंडाला पहुंची।
मणिपुर के इंफाल में ड्यूटी के दौरान 9 दिसंबर को सीआरपीएफ में हवलदार कर्मवीर यादव के निधन के बाद शुक्रवार को उनकी पार्थिव देह कोटपूतली–बहरोड़ में पैतृक गांव गंडाला पहुंची। गांव में जैसे ही सैन्य वाहन के साथ तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर पहुंचा, माहौल गमगीन हो गया। परिजन रो-रोकर बेसुध हो गए। शहीद की पत्नी उषा देवी अपने पति का चेहरा देखते ही बिलख उठीं और शोक में अपनी चूड़ियां तोड़ दीं। वहीं छोटे बेटे निवेश को परिजनों ने संभालने का प्रयास किया।
गांव में कर्मवीर को अंतिम विदाई देने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे। सैकड़ों युवाओं ने सुबह नीमराना के पास बाबा खेतानानाथ मंदिर बाइपास मोड़ से 8 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा शुरू की, जो गंडाला गांव पहुंचकर कर्मवीर के सम्मान में विशाल जनसमूह में बदल गई। यात्रा में ‘कर्मवीर अमर रहें’, ‘भारत माता की जय’ जैसे नारों से वातावरण गूंज उठा।
गांव के श्मशान घाट पर हवलदार कर्मवीर यादव का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सीआरपीएफ अधिकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज कर्मवीर के पिता और पुत्र को सौंपा। जवानों की टुकड़ी ने तीन राउंड हवाई फायर कर अपने वीर साथी को सलामी दी। ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। गंडाला गांव ने अपने वीर सपूत को नम आंखों और गर्व से भरे हृदय के साथ विदाई दी।