क्षेत्र के बीधोता, नाथलवाड़ा के पहाड़ों में बह रहे झरनों के पानी से आसपास के खेत भर गए हैं।
सकट. क्षेत्र के बीधोता, नाथलवाड़ा के पहाड़ों में बह रहे झरनों के पानी से आसपास के खेत भर गए हैं। ऐसे में फसलों को बचाने के लिए किसान खेतों से पानी की निकासी कर रहे हैं। यह पानी पलासन नदी में पहुंच रहा है, जिसमें नदी में पानी की आवक लगातार बनी हुई है। पाई का गुवाड़ा, सकट, नारायणपुर, जोनेटा के एनिकट पर चादर चल रही है। पलासन में 13 साल बाद पानी बह रहा है।
प्रतापगढ़. ग्राम पंचायत आगर के गांव भड़ाज में 41 फ़ीट भराव क्षमता वाले बांध में अब तक 11 फ़ीट पानी की ही आवक हुई है। लोग बांध भरने का इंतजार कर रहे हैं। इसकी चादर 1981 में चली थी। इसके बाद 2014 व 15 में 30 फीट पानी आया था। क्षेत्र की लाइफलाइन कहलाने वाला यह बांध अरावली की पहाड़ियों के बीच अंग्रेजी का वर्ण डब्ल्यू की आकृति की तरह दिखता है। बांध के तीन गेट हैं, जो पानी की अधिक आवक होने के समय अतिरिक्त पानी छोड़ने के काम आते हैं। इस बांध से आगर, पड़ाक-छापली, आमका, चौसला सहित दर्जनभर गांवों में खेतों की सिंचाई होती है। इसके भरने से कुओं, बावड़ी आदि जल स्रोतों का जल स्तर भी बढ़ता है।
कोठीनारायणपुर (राजगढ़). क्षेत्र में रुक-रुक कर जारी बरसात के दौर के बीच दो दिन में जिरावली एनिकट लबालब भर गया। इससे अन्य जल स्रोतों का जल स्तर भी बढ़ेगा। किसानों को भी इसका लाभ मिल सकेगा7