राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या है। यहां मौसम की तरह प्रदूषण भी रंग बदलता है। लेकिन इसका पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या है। यहां मौसम की तरह प्रदूषण भी रंग बदलता है। लेकिन इसका पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है। अब राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल अलवर और भिवाड़ी में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाएगा। इस सिस्टम के लगने के बाद वायु प्रदूषण का तीन दिन का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। मंडल ने जयपुर में यह सिस्टम लगाया चुका है। जहां पूर्वानुमान मिल रहा है।
मंडल ने भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आइआइटीएम) पुणे के सहयोग से यह सिस्टम विकसित किया जाएगा। आईआईटीएम वेदर रिसर्च एंड फोरकास्टिंग-केमेस्ट्री मॉडल (डब्ल्यूएफआर-केम मॉडल) का इस्तेमाल प्रदूषण की जानकारी जुटाने के लिए करता है। यह एक विशेष प्रकार का वायुमंडलीय मॉडल है, जिसे मौसम और वायु गुणवत्ता दोनों को संयुक्त रूप से समझने और पूर्वानुमान करने के लिए विकसित किया गया है।
बढ़ते शहरीकरण, औद्योगीकरण और वाहनों की बढ़ती आवाजाही के कारण अलवर वायु प्रदूषण की गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। इनमें पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 10 और पीएम 2.5), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ 2), सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) और ओजोन (ओ3) शामिल हैं, लगातार राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को पार कर रहे हैं।
प्रदूषण की जानकारी पहले मिलने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि संबंधित विभाग प्रदूषण नियंत्रण को लेकर पहले से ही कार्रवाई शुरू कर देंगे। अभी एक्यूआइ के जरिए प्रदूषण की जानकारी उपलब्ध हो रही है। इसके हिसाब से प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से ग्रेप की पाबंदियां लगाई जाती है।
मुख्यालय स्तर पर एमओयू हो चुका है। अलवर, भिवाड़ी में इसका आने वाले कुछ महीनों में काम शुरू हो सकता है। सैटेलाइट के जरिए फोटो मिलेगी और तीन दिन पहले ही प्रदूषण का पूर्वानुमान पता चलेगा - नीरज शर्मा, रीजनल ऑफिसर, आरएसपीसीबी।