दिल्ली में डीजल चालित वाणिज्यिक वाहनों को अब पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ईसीसी) देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने दस साल से इन वाहनों को ईसीसी पर छूट दे रखी थी, लेकिन अब दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने यह शुल्क लगाया है।
दिल्ली में डीजल चालित वाणिज्यिक वाहनों को अब पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ईसीसी) देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने दस साल से इन वाहनों को ईसीसी पर छूट दे रखी थी, लेकिन अब दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने यह शुल्क लगाया है। इस शुल्क के लगने से अलवर से दिल्ली जा रहे दूध, सब्जी व अन्य उत्पादों के वाहनों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यही नहीं दिल्ली से आ रहा माल भी महंगा होगा।
बताया जा रहा है कि एमसीडी ने याचिका दायर कर यह शुल्क लगाने की मांग की थी। एमसीडी प्रशासन का कहना था कि जरूरी सामान जैसे सब्जियां, फल, दूध, अनाज, अंडे, बर्फ, पोल्ट्री आइटम आदि लेकर आने वाले वाहनों को जांचने के लिए रोका जाता है।
इस वजह से वाहन रुकता है और प्रदूषण बढ़ता है। शुल्क लेने पर वाहन सीधे निकलेंगे, इससे प्रदूषण नहीं फैलेगा। गौरतलब है कि अब तक माल से लदे छोटे व बड़े वाणिज्यिक वाहनों को शुल्क में 100 प्रतिशत व खाली वाहनों को शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट दी जाती थी। मगर अब सभी वाणिज्यिक वाहनों को यह शुल्क चुकाना पड़ेगा।
अलवर से दिल्ली के आजादपुर, केशवपुर, गाजीपुर, ओखला, साहिबाबाद और नोएडा सहित कई इलाकों में मालाखेड़ा, बसवा और राजगढ़ सहित आसपास के क्षेत्र से करीब 25 गाड़ियां सब्जियों की सप्लाई हो रही है। इसी तरह रोजाना 125 गाड़ियों के माध्यम से 40 हजार कट्टे प्याज दिल्ली जाता है। ऐसे में इन वाहनों का भाड़ा बढेगा, जो सीधे तौर पर जनता की जेब को प्रभावित करेगा।
अलवर एनसीआर का हिस्सा है। इसकी दिल्ली से दूरी भी कम है। ऐसे में सर्वाधिक मात्रा में दूध और सब्जियां यहां से दिल्ली जाती हैं। इस शुल्क के लगने से दिल्ली जाने वाला माल महंगा होगा। उधर, अलवर में जयपुर से फलों की सप्लाई आती है, लेकिन जयपुर आने वाला माल भी दिल्ली होकर आता है। ऐसे में फल महंगे होंगे।
इस शुल्क का सीधे तौर पर गाड़ियों के भाड़े पर असर आएगा। अगर भाड़ा बढ़ेगा तो माल के दाम भी बढ़ेंगे। - धारा भाई, प्याज व्यापारी, अलवर