Highway Corridor Zone: सुनियोजित विकास के लिए सड़कों को बेहतर करने व सुविधाएं देने के वादे 15 साल पहले मास्टर प्लान में किए गए थे, लेकिन वह धरातल पर नहीं आ पाए।
सुशील कुमार
अलवर। सुनियोजित विकास के लिए सड़कों को बेहतर करने व सुविधाएं देने के वादे 15 साल पहले मास्टर प्लान में किए गए थे, लेकिन वह धरातल पर नहीं आ पाए। दिल्ली, तिजारा, बहरोड़ मार्ग पर राजमार्ग कॉरिडोर जोन नहीं बन पाया, जबकि यह सबसे ज्यादा जरूरी था। अब यहां अतिक्रमण के कारण सड़कें संकरी हो गई। दुकानें सड़क किनारे ही बन गईं, जिन्हें हटाना व रोड चौड़ा करना आसान नहीं है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रीय योजना के अन्तर्गत निर्धारित नीति के क्रम में शहरीकरण योग्य क्षेत्र के बाहर राजगढ़, दिल्ली रोड, तिजारा व बहरोड़ रोड के दोनों तरफ सड़क के मार्गाधिकार को छोड़ते हुए राजमार्ग के मध्य से दोनों ओर 500-500 मीटर चौड़ा राजमार्ग कॉरिडोर जोन प्रस्तावित किया गया था। इस जोन में राष्ट्रीय राजधानी योजना बोर्ड की ओर से लागू क्षेत्रीय योजना 2021 के तहत कार्य होने थे। यह प्रस्ताव मास्टर प्लान के तहत तैयार किया गया, लेकिन बनाने के बाद इसे नहीं देखा गया।
दिल्ली हो या फिर तिजारा, बहरोड़ व राजगढ़ मार्ग। सभी पर अतिक्रमण बेशुमार है। स्थाई अतिक्रमण भी काफी है। यह लगातार सड़क की ओर बढ़ता जा रहा है। कोई दुकान व कॉम्प्लेक्स के लिए छज्जा बड़ा कर रहा है तो कोई बीम लगाकर दुकान का आकार बढ़ा रहा है। यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो सड़कों का दम और घुटेगा।
कॉरिडोर बनाने के लिए यदि अब प्रयास किए जाएंगे तो वह आसानी से धरातल पर नहीं आ पाएंगे। चारों ही मार्गों के किनारे पक्की दुकानों से लेकर आवास बन गए। ऐसे में सड़कों को चौड़ा ही नहीं किया जा सकेगा। 500 मीटर की दूरी तो दूर की बात है। तिजारा व राजगढ़ मार्ग पर जरूर संभावनाएं नजर आती हैं।
-ग्रीनबेल्ट बनाना
-पानी की लाइन
-यात्रियों के लिए शेड
-सर्विस लेन का विकास
-कॉमर्शियल लेन छोड़ना
-आवासीय दूरी तय करना
दिल्ली, बहरोड़ मार्ग पर पक्का निर्माण हो गया। यहां संभावनाएं कॉरिडोर की नहीं है। यहां तो सड़कों को चौड़ा करना ही मुश्किल है। तिजारा व राजगढ़ मार्ग पर संभावनाएं बनी हुई हैं। सर्विस लेन से लेकर कॉमर्शियल लेन के लिए जगह नहीं बची है। अतिक्रमण ने पूरा एरिया घेर लिया है। इस पर रोक जरूरी है।
-धर्मेंद्र शर्मा, रिटायर्ड एसई, यूआईटी