गुलाबो सपेरा से राजस्थान पत्रिका की खास बातचीत
मत्स्य उत्सव के तीसरे दिन की अलवर की शाम कुछ खास रही। मूसी महारानी की छतरी पर दोपहर बाद से ही भीड़ जुटने लगी थी। सभी पद्मश्री गुलाबो सपेरा की एक झलक देखना चाहते थे। आखिरकार इंतजार की घड़ियां समाप्त हुईं और रंग-बिरंगे परिधान पहने गुलाबो सपेरा मंच पर पहुंची। पूरा परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसके बाद गुलाबो ने अपनी नृत्य कला का ऐसा जादू बिखेरा कि देखने वाले देखते ही रह गए। गुलाबो की बेटी राखी सपेरा ने भी डांस की प्रस्तुति दी। गुलाबो ने मंच से बेटी बचाओ का संदेश दिया और कहा कि कन्या भ्रूण हत्या पाप है।
समाज के कुछ लोगों ने जिंदा जमीन में दबा दिया। मेरी मां को इस बारे में नहीं बताया। उनके बार-बार पूछने पर उन्हें यह सच बताया गया। मेरी मां को विश्वास था कि मैं जिंदा हूं। वे रात को जमीन में से मुझे निकाल कर लाईं, तब मैं जिंदा थी। इसके बाद पिता कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ कर गए। उन्हें डर था कि जिस दिन मैं अकेली रहूंगी, समाज मुझे मार देगा। सांप की टोकरी में बैठाकर मुझे लेकर जाते थे। सांप का बचा हुआ दूध पीकर मैं बड़ी हुई।
जब मैं 7 साल की थी, तब पहली बार पुष्कर मेले में मैंने कालबेलिया डांस किया। मैंने अमरीका में भी प्रस्तुति दी। वहां से लौटने पर बहुत समान मिला, लेकिन मेरे समाज ने मेरे पिता को समाज से बाहर कर दिया। वे मुझे लेकर जयपुर आ गए। तब से हम जयपुर में रह रहे हैं। साल 2016 में मुझे पद्मश्री अवॉर्ड दिया गया। आज मेरे समाज की बेटियां पढ़-लिख रही हैं। देश-विदेश में अच्छे पदों पर नौकरी कर रही हैं। मुझे विश्वास है कि मेरी बेटियां मेरा सम्मान बढ़ाएंगी।
मेरा युवाओं को संदेश है कि हमारी कला और संस्कृति को जिंदा रखें। मेरी कला को आगे बढ़ाने के लिए मैं पुष्कर में डांस एकेडमी खोल रही हूं, जिसमें बेटियों को डांस का प्रशिक्षण दिया जाएगा। मैं अभी तक 170 देशों की यात्रा कर चुकी हूं। मुझे और आगे जाना है। पीछे मुड़कर देखना मेरी आदत नहीं। मैं समाज की पहली बेटी हूं, जिसने कालबेलिया नृत्य किया। हमारे समाज में हम घर-घर जाकर सांप नचाते थे। तीन भाई और तीन बहनों के बाद मेरा जन्म हुआ था। - जैसा पत्रिका रिपोर्टर ज्योति शर्मा को बताया