राजगढ़ व रैणी क्षेत्र में करीब 34 हजार हैक्टेयर में हुई खरीफ फसल की बुवाई, बारिश का भी इंतजार, जल्द बरसात नहीं आई तो फसलों पर पड़ेगा प्रभाव, पानी के अभाव में लगी मुरझाने।
राजगढ. उपखंड राजगढ तथा रैणी क्षेत्र में वर्षा अंतराल से अभी तक तो फसलों को नुकसान की कोई स्थिति नहीं बनी, पर यदि एक सप्ताह में वर्षा नहीं होती है तो फसलों पर उसका सीधा प्रभाव देखने को मिलेगा। खेताें में की जा रही निराई-गुडाई के बाद नमी कम होने से ये मुरझाने लगी है।
राजगढ तथा रैणी क्षेत्र में खरीफ की फसल बुवाई का कुल क्षेत्रफल 40 हजार 642 हैक्टेयर है, जिसमें से इस बार 34 हजार 881 हैक्टेयर में बुवाई की जा चुकी है। इस वर्ष रैणी क्षेत्र में 16 हजार 132 हैक्टेयर तथा राजगढ क्षेत्र में 15 हजार 199 हैक्टेयर में बाजरे की फसल की बुवाई की गई है। इसके अलावा रैणी क्षेत्र में 516 हैक्टेयर में ज्वार एवं राजगढ क्षेत्र मेें 130 हैक्टेयर में ज्वार की फसल की बुवाई की गई है। रैणी क्षेत्र में 44 हैक्टेयर में मक्का तथा राजगढ क्षेत्र में 109 हैक्टेयर में मक्का की फसल बोई गई है।
वर्तमान में खरीफ की फसलों के लिए उर्वरक की उपब्धता पर्याप्त है। कृषकों की ओर से उर्वरकों का उपयोग किया जा रहा है। वर्षा अंतराल होने से अभी खरीफ की फसलों में नुकसान की स्थिति नहीं हैं, लेकिन पांच-सात दिन में और वर्षा नहीं होती हैं तो इसका सीधा असर फसलों पर देखने को मिलेगा। क्षेत्र में अनेक स्थानों पर कई दिनों से वर्षा भी हो रही है। राजगढ व रैणी क्षेत्र में करीब पांच हजार 761 हैक्टेयर शेष भूमि कृषकों की ओर से सरसों की फसल बुवाई के लिए पडतछोडी है। इसके अलावा कुछ क्षेत्र में प्याज की फसल की बुवाई के लिए पडत जमीन छोडी जाती है।
यह बोले अधिकारी
सहायक निदेशक कृषि विस्तार राजगढ के सहायक निदेशक विश्राम मीना का कहना है कि राजगढ में 16 हजार 954 हैक्टेयर में से 16 हजार 81 हैक्टेयर में खरीफ की फसल की बुवाई की गई है। इसके अलावा रैणी क्षेत्र में 23 हजार 6 हैक्टेयर में से 18 हजार आठ सौ हैक्टेयर में बुवाई की गई है। शेष भूमि कृषकों की ओर से सरसों की फसल व कुछ क्षेत्र में प्याज की बुवाई के लिए पडत जमीन छोडी गई है। वर्षा अंतराल होेने के कारण फसलों में नुकसान की स्थिति नहीं है। यदि शीघ्र वर्षा नहीं होती है तो फसलों पर उसका सीधा प्रभाव पडे़गा।