अलवर के सरिस्का एलिवेटेड रोड से जयपुर का सफ़र 45 मिनट कम हो जाएगा। यह रोड बनने के बाद अलवर से थानागाजी होकर जयपुर पहुंचने में 45 मिनट कम लगेंगे। यानी, पौने चार घंटे का सफर 3 घंटे में पूरा होगा।
सरिस्का टाइगर रिजर्व से गुजरने वाले एलिवेटेड रोड की पहली बाधा दूर हो गई है। इसका प्रस्तावित रूट तय हो गया है। इसी रूट के लिए पीडब्ल्यूडी एनएच ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से 16 हेक्टेयर फॉरेस्ट जमीन के लिए एनओसी मांगी है। इसे लैंड डायवर्जन कहा जाता है।
पीडब्ल्यूडी एनएच ने परिवेश पोर्टल के जरिए यह एनओसी मांगी है, जो सरिस्का प्रशासन के पास पहुंच गई है। अब यहां से वाइल्ड लाइफ व फॉरेस्ट के हिसाब से जांच होगी और उसके बाद यह प्रस्ताव मंत्रालय के पास जाएगा। जितना जल्दी एनओसी विभाग देगा, उतना जल्दी एलिवेटेड रोड धरातल पर आ पाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एलिवेटेड रोड पर काम हो रहा है। यह प्रस्ताव तीन साल से चला आ रहा है, लेकिन धरातल पर अब तक नहीं आ पाया था, लेकिन अब प्रक्रिया आगे बढ़ गई है। इस रोड का मुख्य उद्देश्य सरिस्का के वन्यजीवों की दुर्घटनाओं से हो रही मौतों को रोकना है। साथ ही जयपुर-अलवर का सफर भी आसान करना है।
पीडब्ल्यूडी एनएच ने कहा है कि लैंड डायवर्जन इसी रूट से होना है, जो 16 हेक्टेयर का होगा। यानी इतनी ही जमीन जिला प्रशासन को सरिस्का के लिए देनी होगी। यह जमीन सरिस्का के जंगल से सटी होनी चाहिए। अब प्रशासन भी इसके लिए रास्ता निकालेगा।
अलवर के सरिस्का एलिवेटेड रोड से जयपुर का सफ़र 45 मिनट कम हो जाएगा। यह रोड बनने के बाद अलवर से थानागाजी होकर जयपुर पहुंचने में 45 मिनट कम लगेंगे। यानी, पौने चार घंटे का सफर 3 घंटे में पूरा होगा।
सरिस्का एलिवेटेड रोड के लिए फॉरेस्ट की एनओसी मांगी गई है। 16 हेक्टेयर जमीन की हमें आवश्यकता होगी। एनओसी मिलने के बाद इसकी प्रक्रिया डीपीआर की ओर बढ़ेगी और फिर मंजूरी के बाद टेंडर होगा। - वेदप्रकाश शर्मा, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी एनएच जयपुर
यह एलिवेटेड रोड नटनी का बारां से शुरू होगा, जो कुशालगढ़, तालवृक्ष, मुंडावर मोड़ तक बनेगा। इसकी दूरी 22 किमी होगी। यह मार्ग आगे थानागाजी व शाहपुरा मार्ग से जुड़ेगा, जो 8 किमी लंबा होगा। यहां से जयपुर मार्ग से सीधा जुड़ जाएगा। हालांकि इस रूट को फाइनल तभी माना जाएगा, जब वन मंत्रालय की एनओसी मिल जाएगी।
दूसरा मार्ग थैंक्यू बोर्ड से तय किया गया था, लेकिन वहां पीडब्ल्यूडी एनएच की जमीन नहीं थी। इससे प्रोजेक्ट कॉस्ट और बढ़ती। पीडब्ल्यूडी एनएच ने इस प्रोजेक्ट की टेंटेटिव कॉस्ट 1600 करोड़ निकाली है। डीपीआर फॉरेस्ट एनओसी के बाद बनेगी। उसके बाद टेंडर लगाया जाएगा।