अलवर

सरिस्का और जमवारामगढ़ का जंगल होगा एक, टाइगर कॉरिडोर बनाने को मिली हरी झंडी

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनटीसीए) की अनुमति के बाद जल्द ही सरिस्का टाइगर रिजर्व व जमवारामगढ़ जयपुर का जंगल एक होगा।

less than 1 minute read
Sep 02, 2025
representative picture (patrika)

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनटीसीए) की अनुमति के बाद जल्द ही सरिस्का टाइगर रिजर्व व जमवारामगढ़ जयपुर का जंगल एक होगा। बोर्ड ने इसके लिए मुख्य वन्यजीव वार्डन को निर्देश जारी किए हैं। दोनों जंगलों को जोड़कर एक तरह से कॉरिडोर बनाने की योजना है ताकि बाघों को आवास बनाने में आसानी हो सके।

यह आदेश समूचे देश के टाइगर रिजर्व में लागू होगा। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की 84वीं स्थाई समिति की बैठक हुई, जिसमें इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई। टाइगर रिजर्व कॉरिडोर बनाने के लिए एनटीसीए के प्रस्ताव भेजेंगे और वहां से मंजूरी के बाद इसे लागू किया जा सकेगा। बाघ अभयारण्य और एक संरक्षित क्षेत्र को जोड़कर एक कॉरिडोर बनाया जाना है। यह भी कहा है कि जंगलों को जोड़ने का उद्देश्य साफ होना चाहिए, जो टाइगर रिजर्व को संबंधित बोर्ड को अवगत कराना होगा।

एनटीसीए का अच्छा कदम

टाइगर ट्रेल्स ट्रस्ट की अध्यक्ष स्नेहा सोलंकी का कहना है कि सरिस्का बाघ परियोजना ने एनटीसीए को 607 वर्ग किमी बफर क्षेत्र घोषित करने के लिए अलवर वन मंडल से 286.81 वर्ग किमी, जयपुर उत्तर वन मंडल से 270.22 वर्ग किमी व दौसा वन मंडल से 50.62 वर्ग किमी वन भूमि को शामिल करने के लिए प्रस्ताव भिजवाए गए थे। इनको शामिल करने से सरिस्का टाइगर रिज़र्व का कुल क्षेत्रफल 1823 वर्ग किमी हो जाएगा। एनटीसीए की बैठक में जंगलों को जोड़ने की बात कही है, जो अच्छा कदम है। यह जंगल आपस में जुड़ेंगे तो टाइगर खुलकर सांस ले सकेंगे।

Published on:
02 Sept 2025 11:40 am
Also Read
View All

अगली खबर