अलवर जिले में प्याज के दामों में आई भारी गिरावट ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। मालाखेड़ा तहसील के जमालपुर गांव में किसान गजेंद्र सिंह ने बाजार में उचित दाम न मिलने से आहत होकर डेढ़ बीघा खड़ी प्याज की फसल की जुताई कर दी।
अलवर जिले में प्याज के दामों में आई भारी गिरावट ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। मालाखेड़ा तहसील के जमालपुर गांव में किसान गजेंद्र सिंह ने बाजार में उचित दाम न मिलने से आहत होकर डेढ़ बीघा खड़ी प्याज की फसल की जुताई कर दी। यह दृश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था की गहरी पीड़ा को बयां करता है।
गजेंद्र सिंह का कहना है कि इस बार प्याज की पैदावार तो अच्छी रही, लेकिन बाजार में कीमतें औंधे मुंह गिर गईं। उन्होंने बताया कि मंडियों में प्याज का भाव मात्र 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है, जबकि लागत 700 से 800 रुपये प्रति क्विंटल तक बैठती है। उन्होंने बताया कि अब तो मंडी तक ले जाने का किराया भी घर से देना पड़ रहा है।
गांव के अन्य किसानों का भी कहना है कि स्थिति लगभग समान है। लागत बढ़ रही है और मुनाफा खत्म हो गया है। किसानों ने सरकार से प्याज की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने, भंडारण व विपणन की उचित व्यवस्था करने की मांग की है, ताकि उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके।
खेती की बढ़ती लागत और बाजार में गिरते दामों ने किसानों की आर्थिक स्थिति को हिला दिया है। जमालपुर में गजेंद्र सिंह का यह कदम अब किसानों की बेबसी और आक्रोश का प्रतीक बन गया है। जहां मेहनत की फसल अब खेतों में ही जोती जा रही है।