Chit fund fraud: वेलफेयर बिल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम से खोली गई थी कंपनी, कम समय में रकम दोगुना करने का झांसा देकर निवेशकों से की गई थी ठगी, फिर हो गए थे फरार
अंबिकापुर. गांधीनगर पुलिस ने चिटफंड कंपनी (Chit fund fraud) के जोनल मैनेजर को रांची से गिरफ्तार किया है। उसने अपनी टीम के साथ वेलफेयर बिल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का कार्यालय अंबिकापुर में खोलकर कम समय में रकम दोगुना करने का झांसा देकर निवेशकों से 8 करोड़ रुपए से अधिक राशि की ठगी की थी। निवेशकों की रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई कर जेल दाखिल कर दिया है।
वेलफेयर बिल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी (Chit fund fraud) के डायरेक्टर व अन्य कर्मचारियों द्वारा अम्बिकापुर के नमनाकला में कार्यालय खोलकर कंपनी का संचालन किया जा रहा था। एजेंट नियुक्त कर कंपनी द्वारा निवेशकों को झांसा दिया गया था कि रुपए निवेश करने पर कम समय में दोगुना कर दिया जाएगा।
इससे झांसे में आकर कई लोगों ने रकम निवेश की थी। निवेशकों से 8 करोड़ से अधिक रुपए जमा करने के बाद कंपनी अंबिकापुर में कार्यालय बंद कर फरार हो गई थी। मामले (Chit fund fraud) की रिपोर्ट निवेशक देवराज यादव निवासी मैनपाट ने गांधीनगर थाने में 4 सितंबर 2024 को दर्ज कराई थी। पुलिस अपराध दर्ज कर विवेचना कर रही थी।
प्रार्थी की रिपोर्ट के बाद कंपनी (Chit fund fraud) के एजेंटों व अन्य निवेशकों से पूछताछ की गई। विवेचना में करीब 8 करोड़ रुपए से अधिक ठगी किए जाने का मामला सामने आया था।
पुलिस की जांच में पाया गया था कि कंपनी के डायरेक्टर व अन्य द्वारा वेलफेयर नाम से कंपनी खोलकर रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना चलाया जा रहा था। इसमें लोगों को ज्यादा लाभ देने का झांसा दे स्थानीय लोगों को एजेंट बनाकर चेन सिस्टम के जरिए निवेशकों से ठगी की गई थी।
पुलिस आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर काफी दिनों से प्रयासरत थी। इसी बीच पुलिस टीम आरोपी का लोकेशन मिलने पर रांची रवाना हुई थी। पुलिस ने आरोपी (Chit fund fraud) विनीत पाण्डेय पिता कामेश्वर पाण्डेय उम्र 52 वर्ष निवासी हीनू थाना डोरंडा रांची को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 420, 34 के तहत कार्रवाई कर उसे जेल भेज दिया है।
पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी कंपनी (Chit fund fraud) का जोनल मैनेजर विनित पांडेय अंबिकापुर में जगह-जगह सेमिनार आयोजित कर कंपनी में रुपए जमा करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करता था। इसके लिए लोगों को कम समय में रकम दोगुना कर वापस लौटाने का भरोसा देता था। निवेशकों से करोड़ों रुपए जमा कराने के बाद कार्यालय बंद कर भाग गया था।