धर्म/ज्योतिष

Kaal Yoga: 17 साल बाद फिर लगा अमंगलकारी विश्वघस्त्र पक्ष, मां महाकाली करती हैं ऐसा काम

Kaal Yoga in Ashadha 2024: आषाढ़ 2024 इतिहास में दर्ज होने जा रहा है। इस महीने में 17 साल बाद ऐसी घटना घटने वाली है, जो महाविनाशकारी होती है। धर्म ग्रंथों में इसे विश्वघस्त्र पक्ष या कालयोग कहा जाता है। इस अवधि में असाध्य रोगों, उपद्रव आदि का प्रकोप बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस समय संसार में संहार होता है। विश्वघस्त्र पक्ष क्या है, कालयोग का महत्व क्या है, विश्वघस्त्र पक्ष कब-कब आया, यहां जानें।

2 min read
Jun 22, 2024
विश्वघस्त्र पक्ष आषाढ़ 2024

क्या है विश्वघस्त्र पक्ष और कालयोग (vishvaghastra paksha kaal yoga)

हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जिस तिथि का किसी सूर्योदय के साथ संबंध नहीं होता है, उसकी संज्ञा क्षय हो जाती है। इससे कभी-कभी एक पक्ष 14 दिन का हो जाता है, जबकि कभी-कभार चंद्र सूर्य की गणित प्रक्रिया से किसी पक्ष में तिथि वृद्धि भी होकर पखवाड़ा (चंद्रमा के एक स्थिति से दूसरी में जाने का समय जैसे अमावस्या से पूर्णिमा या पूर्णिमा से अमावस्या) 16 दिन का हो जाता है। लेकिन जब किसी पखवाड़े (पक्ष) में दो तिथियों का सूर्योदय से संबंध नहीं बनता तो ज्योतिष में 13 दिन के इस पक्ष को अमंगलकारी, अशुभफल देने वाला माना जाता है। इसे विश्वघस्र पक्ष और कालयोग के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है। यह अशुभ फल देने वाला माना जाता है।

ये भी पढ़ें

Saptahik Rashifal 23 to 29 June: इस सप्ताह वृश्चिक, धनु समेत 5 राशियों को व्यापार में तरक्की, खूब धन लाभ साप्ताहिक राशिफल में तुला से मीन तक सब जानें भविष्य

कल से शुरू हो रहा विश्वघस्त्र पक्ष

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आषाढ़ 2024 असाधारण होने जा रहा है। 17 साल बाद किसी महीने का कोई पक्ष 13 दिनों का होगा। 23 जून से शुरू हो रहा आषाढ़ कृष्ण पक्ष में दो तिथियों द्वितीया और त्रयोदशी का क्षय हो रहा है, इससे 5 जुलाई को संपन्न हो रहा यह पखवाड़ा 13 दिन का यानी विश्वघस्त्र पक्ष (कालयोग) होगा। इससे पहले विक्रम संवत 2064 (साल 2007) के श्रावण माह (31 जुलाई से 12 अगस्त) में विश्वघस्त्र पक्ष की स्थिति बनी थी। वहीं उससे पहले महाभारत काल में यह घटना घटी थी। इसमें बड़ी जन हानि और धन का नाश हुआ था।

13 पक्ष या 13 माह में दिखाता है असर

ज्योतिष में विश्वघस्त्र पक्ष को विश्व-शांति को भंग करने वाला माना जाता है। मान्यता है इस पक्ष का असर 13 पक्ष या 13 मास में दिखाई देता है। इससे विश्व में संहार की स्थिति बनती है, संसार में असाध्य रोग बढ़ते हैं, राष्ट्रों में युद्ध, उपद्रव, हिंसा और रक्तपात बढ़ता है। प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना में जन-धन की भीषण हानि होती है। समाज में अशांति और अराजकता बढ़ती है। 13 दिन का यह पक्ष अमंगलकारी होता है। मान्यता है कि 13 दिन के इस समय में महाकाली नरमुंडों की माला धारण करती हैं।

आएगी आपदा

आषाढ़ महीने की शुरुआत 23 जून से हो रही है और यह 21 जुलाई तक चलेगा। इस महीने में विश्वघस्त्र पक्ष के कारण प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। मान्यता है कि इस दुर्योग काल में महाकाली नरमुंडों की माला धारण करती हैं। इससे प्रजा के लिए महाविनाशकारी स्थितियां पैदा होती हैं। इससे दुर्घटनाओं की आशंका भी है। ऐसा दुर्योग होने से अतिवृष्टि, अनावृष्टि, राजसत्ता का परिवर्तन, विप्लव, वर्ग भेद आदि उपद्रव होने की संभावना पूरे साल बनी रहती है।

मांगलिक कार्य बंद

वाराणसी के पुरोहित पं शिवम तिवारी के अनुसार आमतौर पर चातुर्मास शुरू होते ही मांगलिक कार्य बंद होते हैं, मगर आषाढ़ में विश्वघस्त्र पक्ष के कारण यह समय भी अशुभ है। इसलिए इस समय भी मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकेंगे। विश्वघस्त्र पक्ष में मुंडन, विवाह, यज्ञोपवीत, गृहप्रवेश, वास्तुकर्म आदि शुभ कार्य करना ठीक नहीं होता।

ये भी पढ़ें

Devshayani Ekadashi 2024: इस डेट को सो जाएंगे देव, बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य, जानें कब है देवशयनी एकादशी, किन शुभ योग में रखा जाएगा व्रत

Updated on:
23 Jun 2024 10:54 am
Published on:
22 Jun 2024 09:55 pm
Also Read
View All

अगली खबर