Shani Asta Effect 2025: ज्योतिष के अनुसार सूर्य शनि कुंभ राशि में हैं, दोनों ग्रहों में तनातनी की स्थिति रहती है। ऐसे में सूर्य शनि की तनातनी लाइफ में उथलपुथल मचा सकती है। आइये जानते हैं इसका किसे फायदा होगा और किसे नुकसान (Surya Shani Yuti turmoil)
Surya Shani Yuti Turmoil: जयपुर के ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार शनिदेव के अस्त (Shani Asta Effect) होने से सरकार का प्रशासनिक ढांचा कमजोर पड़ जाता है और अराजकता बढ़ने की संभावना अधिक हो जाती है।
ज्योतिष में शनिदेव का विशेष महत्व होता है। शनिदेव सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं। ये किसी एक राशि में सबसे ज्यादा ढाई वर्षों तक रहते हैं। शनि दुख, रोग, पीड़ा, न्याय और कर्म के कारक होते हैं। शनि देव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। यह तुला राशि में उच्च के होते हैं जबकि मेष राशि में नीच के होते हैं। सभी 27 नक्षत्रों में शनिदेव को पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र पर स्वामित्व प्राप्त है। शनि बुध और शुक्र के मित्र हैं और वहीं इनके शत्रु सूर्य, चंद्रमा और मंगल है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शनि 29 मार्च 2025 को जैसे ही मीन राशि में प्रवेश करेंगे कुछ राशि वालों पर साढ़ेसाती और ढैय्या शुरू हो जाएगी तो वहीं कुछ पर से यह खत्म हो जाएगी। इस साल मकर राशि वालों पर चल रही साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी, जबकि मेष राशि पर साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी।
शनि के मीन राशि में गोचर करने से मीन राशि पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण, कुंभ राशि पर अंतिम चरण और मेष राशि पर पहला चरण शुरू होगा। वहीं इसके अलावा वृश्चिक राशि के जातकों पर जहां ढैय्या समाप्त होगी जबकि धनु राशि वालों पर ढैय्या की शुरुआत हो जाएगी।
भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास के अनुसार शनि 29 मार्च 2025 को मीन राशि में गोचर होंगे, लेकिन उसके पहले कुंभ राशि में रहते हुए 27 फरवरी 2025 को अस्त हो जाएंगे। फिर इसी अस्त अवस्था में रहते हुए गुरु की राशि मीन में प्रवेश करेंगे। 4 अप्रैल 2025 को सुबह 6:37 पर उदय होंगे। फिर 13 जुलाई 2025 को मीन राशि में वक्री चाल से चलेंगे। 28 नवंबर 2025 को शनिदेव मार्गी हो जाएंगे।
कुंडली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास के अनुसार 12 फरवरी से सूर्य देव कुंभ राशि में गोचर कर गए हैं। वहीं दूसरी ओर शनि देव कुंभ राशि में 27 फरवरी 2025 को अस्त हो रहे हैं । 12 फरवरी से सूर्य-शनि एक साथ कुंभ राशि में हैं। इसके बाद 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में चला जाएगा। सूर्य-शनि के संयोग से प्राकृतिक आपदाएं आने का खतरा बना रहेगा।
ज्योतिष में सूर्य और शनि को एक-दूसरे का शत्रु माना जाता है। जब भी ऐसे योग बनते हैं तब देश-दुनिया में अनचाहे बदलाव और दुर्घटनाएं होती हैं। तनाव, अशांति और डर का माहौल भी बनता है। जिससे ज्यादातर लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
कई लोग
मानसिक और शारीरिक तौर से तो परेशान रहेंगे ही साथ ही सेहत संबंधी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है। शनि-सूर्य का अशुभ योग बनने से राजनीतिक नजरिये से समय अनुकूल नहीं रहेगा। बड़े बदलाव और विवाद होने की आशंका है।
भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास के अनुसार अचानक मौसम परिवर्तन होने के योग बनेंगे। देश में कई जगहों पर अचानक ठंड बढ़ सकती है। शेयर मार्केट में बड़ी उथल-पुथल होने के योग बनेंगे।
प्रशासनिक फैसलों से देश में विवाद बढ़ाने की आशंका रहेगा। लोगों में मतभेद बढ़ सकते हैं। भ्रष्टाचार उजागर हो सकते हैं। नौकरीपेशा लोगों के कामकाज में रूकावटें आ सकती हैं। लोगों के दिल-दिमाग में अनिश्चितता रहेगी।
कृषि क्षेत्र यानी फसलों का उत्पादन बढ़ेगा। बड़े निवेश और लेन-देन होंगे। मीडिया और वकालत से जुड़े लोगों के लिए अच्छा समय रहेगा। स्टूडेंट्स को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के नए मौके मिलेंगे।
साथ ही व्यापारिक क्षेत्रों में फायदा होने के भी योग बन रहे हैं। बड़े बदलाव और विवाद होने की आशंका है। राजनीतिक उथल-पुथल एवं प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बढ़ेगी। धरना जुलूस प्रदर्शन आंदोलन गिरफ्तारियां होगी। रेल दुर्घटना होने की भी संभावना है।
बड़े नेताओं का दुखद समाचार मिलने की संभावना। दुर्घटना होने की संभावना है। देश और दुनिया में राजनीतिक बदलाव होंगे। सत्ता संगठन में परिवर्तन होगा। आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलेगा। मनोरंजन फिल्म खेलकूद एवं गायन क्षेत्र से बुरी खबर मिलेगी।
1.भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास के अनुसार शनि महाराज को प्रसन्न करने के लिए सबसे अच्छा अवसर शनिवार, शनि प्रदोष, शनि अमावस्या, शनि जयंती और भगवान हनुमान की उपासना को माना गया है।
2. शनिवार के दिन काले श्वान को तेल लगाकर रोटी खिलाना चाहिए। अगर आपके ऊपर शनि की महादशा चल रही तो उस समय मांस-मदिरा का त्याग करना चाहिए।
3. महामृत्युंजय मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें, शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन काली गाय की सेवा करें।
हर शनिवार शनि मंदिर जाकर शनि महाराज को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए।
4. पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीया जलने से शनि की कृपा मिलती है। हनुमान भैरव और शनि चालीसा का पाठ करने से शनि की कृपा मिलती है।