धर्म/ज्योतिष

इतिहास गवाह है, जब-जब 15 दिन में दो ग्रहण, तब-तब मची तबाही, जानिए क्या कहती है बृहत्संहिता की भविष्यवाणी

Surya Grahan 2025 History: साल 2025 में 15 दिन में ही दूसरी बार सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। इससे पहले का इतिहास देखें तो कई बार ऐसा हुआ है इसके बाद दुनिया में तबाई मची है तो आइये जानते हैं ज्योतिष ग्रंथ बृहत्संहिता की भविष्यवाणी (Brihatsamhita Predictions)

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Mar 28, 2025
Surya Grahan 2025 History Brihatsamhita prophecy: सूर्य ग्रहण पर बृहत्संहिता की भविष्यवाणी

Eclipses History: भारत में ज्योतिष पर कई ग्रंथ लिखे गए हैं, इन्हीं में से एक वाराहमिहिर रचित बृहत्संहिता, इस ग्रंथ में कई भविष्यवाणियां की गईं हैं। इन्हीं में से एक भविष्यवाणी 15 दिन में दो बार ग्रहण पर है, जिसमें कहा गया है कि इसके प्रभाव से तबाही आती है। आइये जानते हैं बृहत्संहिता की भविष्यवाणी के अनुसार क्या दुष्प्रभाव हो सकता है।

कुछ दिन पहले होली पर चंद्र ग्रहण लगा था अब 29 मार्च को शनि अमावस्या पर सूर्य ग्रहण लगने वाला है। हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण, दोनों को भी अशुभ माना गया है। दूसरा ग्रहण यानी सूर्य ग्रहण 29 मार्च को लगने जा रहा है।


ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि साल 2025 में यह अजीब संयोग बन रहा है कि सिर्फ 15 दिन के अंतराल में ही दो ग्रहण लग रहे हैं। धुलंडी यानी होली के दिन 14 मार्च को चंद्र ग्रहण लगा था और ठीक 15 दिन बाद 29 मार्च को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। बता दें इससे पहले साल 2022 में 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण और 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण था। साल 1979 में 22 अगस्त को सूर्य ग्रहण और 6 सितंबर को चंद्र ग्रहण हुआ था। ठीक ऐसा ही योग इस साल भी बना है।


2025 में कब-कब लगेगा ग्रहण

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार साल 2025 में भी चार ग्रहण देखने को मिलेंगे। इनमें से दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण होंगे। वर्ष 2025 में कुल दो चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं। इनमें से पहला ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, जबकि दूसरा चंद्र ग्रहण भारत में नजर आएगा।


पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च 2025 को लगा था यह पूर्ण ग्रहण था यह चंद्र ग्रहण धुलंडी यानी होली के दिन लगा था लेकिन भारत में दिखाई नहीं देने के कारण इस चंद्र ग्रहण का भारत में कोई असर नहीं था। दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को लगेगा। यह चंद्र ग्रहण पितृ पक्ष की शुरुआत में लगेगा और यह भारत में दिखाई देगा, जिससे इसका सूतक काल मान्य होगा।


पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को लगेगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण और रात को लगने के कारण भारत में दिखाई नहीं देगा। पहला सूर्य ग्रहण यूरोप, रूस और अफ्रीका में दिखाई देगा। दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को लगेगा और यह भी भारत में नहीं दिखेगा। यह भी आंशिक सूर्य ग्रहण होगा और न्यूजीलैंड, पैसिफिक व अंटार्कटिका में दिखाई देगा।

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2022 में बनी थी ऐसी ही स्थिति, मोरबी में टूट गया था सस्पेंशन ब्रिज

इससे पहले साल 2022 में 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण और 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण था। साल 1979 में 22 अगस्त को सूर्य ग्रहण और 6 सितंबर को चंद्र ग्रहण हुआ था। ठीक ऐसा ही योग इस साल भी बना है।


रविवार 30 अक्टूबर 2022 को गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज टूट गया। उस समय पुल पर करीब 500 लोग थे, जो नदी में जा गिरे। इस हादसे में 190 लोगों की मौत हो गई ।


साल 2022 से पहले 1979 में भी मच्छु नदी का डैम टूटने से हादसा हुआ था, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। 2022 और 1979 के इन दोनों हादसों में एक बात कॉमन है कि उस समय भी सूर्य और चंद्र ग्रहण हुए थे।


ज्योतिष के ग्रंथ बृहत्संहिता में ग्रहण के बारे में भविष्यवाणियां की गई हैं। इस ग्रंथ में लिखा है कि जब-जब एक ही महीने में दो ग्रहण एक साथ होते हैं, तब-तब दुनिया में के हादसों की वजह से जनहानि होती है।

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1979 में ऐसी स्थिति बनने के बाद मच्छू नदी पर टूट गया था बांध

कुण्डली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि 43 साल पहले 11 अगस्त 1979 को भी मोरबी में डैम टूटने से बाढ़ आ गई थी और हजारों लोग मारे गए थे। उस साल 22 अगस्त को सिंह राशि में सूर्य ग्रहण हुआ था।


इसके बाद 6 सितंबर को कुंभ राशि में चंद्र ग्रहण हुआ था। अक्टूबर-1979 में फिलीपींस में तूफान आया था, जिसमें बड़ी जनहानि हुई थी। ठीक ऐसे ही हादसे 2022 में भी हो रहे हैं।

बृहत्संहिता के अनुसार 15 दिन में दो ग्रहण के होते हैं दुष्प्रभाव

कुण्डली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि वराहमिहिर द्वारा रचित ग्रंथ बृहत्संहिता के राहुचाराध्याय में लिखा है कि जब दो-दो ग्रहण एक साथ एक ही महीने में होते हैं तो तूफान, भूकंप, मानवीय भूल से बड़ी संख्या में जनहानि होने के योग बनते हैं। एक ही महीने में सूर्य और चंद्र ग्रहण होते हैं तो सेनाओं की हलचल बढ़ती है। सरकारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्राकृतिक आपदा आने के योग रहते हैं।

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ग्रहण योग का पड़ेगा व्यापक प्रभाव

कुंडली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि विश्व के नजरिए से देखा जाए तो इस दौरान ग्रहों के प्रभाव से दो राष्ट्रों के मध्य तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। राष्ट्र अध्यक्षों के मध्य वाक युद्ध की स्थिति बन सकती है।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के दृष्टिकोण से बड़ी नकारात्मक सूचना प्राप्त हो सकती है। लेकिन पद प्रतिष्ठा के लिए यह समय महिलाओं के लिए ठीक है। बौद्धिकता , नए अन्वेषण, व्यापारिक दृष्टिकोण से यह अवधि शुभ फल प्रदायक साबित होगा ।


ग्रहण से तीन महीने तक की अवधि में आम जनमानस के स्वास्थ्य में अवरोध, सुख में कमी, नए रोगों का उत्पन्न होना, नए रोगों के आने से या होने से सुख में कमी होना, आपसी मतभेद मनमुटाव, राजनीतिक दलों में कटुता का भाव। बड़े वाहन की दुर्घटना की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।


भारतीय रुपये का ह्रास हो सकता है। व्यापारिक दृष्टिकोण से यह समय ठीक रहेगा। आर्थिक दृष्टिकोण से समय ठीक रहेगा और बौद्धिक दृष्टिकोण से भी यह समय उपयुक्त रहेगा।

ग्रहण के ये हो सकते हैं दुष्प्रभाव

भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि प्राकृतिक आपदा के साथ अग्नि कांड भूकंप गैस दुर्घटना वायुयान दुर्घटना होने की आशंका है। पूरे विश्व में राजनीतिक अस्थिरता यानी राजनीतिक माहौल उच्च होगा।


पूरे विश्व में सीमा पर तनाव शुरू हो जाएगा, रोजगार के क्षेत्रों में वृद्धि होगी। आय में बढ़ोतरी होगी। देश की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ रहेगा। खाने की चीजों की कीमतें सामान्य रहेंगी। दुर्घटनाएं आगजनी आतंक और तनाव होने की संभावना।


आंदोलन धरना प्रदर्शन हड़ताल, बैंक घोटाला, वायुयान दुर्घटना, विमान में खराबी, शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होगा। जनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ज्यादा होंगे। सत्ता संगठन में बदलाव होंगे। मनोरंजन फिल्म खेलकूद और गायन क्षेत्र से बुरी खबर मिलेगी। बड़े नेताओं का दुखद समाचार मिलने की संभावना।

सूर्य ग्रहण के प्रभाव से बचाव के लिए पूजा-पाठ और दान करें

भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि ग्रहण के अशुभ असर से बचने के लिए हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें। भगवान शिव और माता दुर्गा की आराधना करनी चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।

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